Book Title: Lokprakash Part 03
Author(s): Padmachandrasuri
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 606
________________ (५५३) मध्ये वृत्तं त्रिकोणानि दिक्ष्यत्र प्रतरे ततः । पति त्रिकोणाश्चत्वारः, पञ्च ते सर्वसंख्यया ॥६१०॥ इस प्रतर के मध्य में गोल विमान है और चार दिशा में त्रिकोन विमान है कुल पंक्तिगत त्रिकोन चार विमान हैं और इस प्रतर की सर्व संख्या पाँच की है । (६१०) सर्वेऽप्येवमूर्ध्वलोके, पङ्क्ति वृत्त विमानकाः । द्वयशीत्याऽभ्यधिकानि स्युः शतानि पञ्चविशंति ॥६११॥ शतानि साष्टाशीतीनि, षड्विंशति स्त्रिकोणकाः। षड्विंशति शताः पङ्गक्ति चतुरस्राश्चतुर्युताः ॥६१२॥ सर्वोपरि ऊर्ध्वलोक में, पंक्तिगत विमान में वृत्त विमानो की कुल संख्या पच्चीस सौ ब्यासी (२५८२) है त्रिकोन विमानों की कुल संख्या छब्बीस सौ अट्ठयासी (२६८८) है और चोरस विमानो की कुल संख्या छब्बीस सौ चार (२६०४) है । (६११-६१२) चतुः सप्तत्यभ्यधिकैः शतैरष्टभिरन्विताः ।। सहस्राः सप्तोर्ध्व लोके, सर्वेपङ्क्ति विमानकाः ॥६१३॥ लक्षाश्चतुरशीतिः स्युरेको ननवतिस्तथा । सहस्रण्येकोनपञ्चाशं शतं च प्रकीर्णकाः ॥६१४॥ सर्वविमानाश्चतुरशीतिर्लक्षा इहोपरि । सहस्राः सप्तनवतिस्रयोविंशति संयुताः ॥६१५॥ और ऊर्ध्वलोक के पंक्तिगत समस्त विमानों की कुल संख्या सात हजार आठ सौ चौहत्तर (७८७४) होती है और प्रकीर्णक विमान चौरासी लाख नव्वासी हजार एक सौ उन्चालीस (८४,८६१४६) होते हैं । ऊर्ध्व लोक के सब विमान चौरासी लाख सत्तानवे हजार तेईस (४६७०२३) होते हैं । (६१३-६१५) व्यासायामापरिक्षे पै जम्बूद्वीपेनसंमितम् ।। विमानं सर्वार्थसिद्धमसंख्येयास्मकाः परे ॥६१६॥ स्वार्थसिद्ध नाम के विमान की लम्बाई-चौड़ाई और परिधि से जम्बू द्वीप के समान है शेष के असंख्येय योजन का है । (६१६)

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