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क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय
श्लोक सं० सं० | सं०
सं० ४७६ पुष्पावर्कीण विमानों की संख्या ६७४६६ पाँच बड़े गुणवाथी चरणों की १३० तथा स्थान .
माप ४७७ दूसरे देवलोक के सब विमान ७२ ४६७ सात बड़े गुणवाथी चरणों की १३२ ४७, किस इन्द्र का कौन सा विमान है ७५| माप ४७६ संग्रहणी के अनुसार किस इन्द्र ७८ ४६८ सूर्य के उदय-अस्त के अन्तर १२४ का कौन विमान है .
(परिक्रमा) से तीन बड़े चरणों आगम प्रमाण से साधर्मेन्द्र के ८१ की माप
सब विमानों की संख्या | ४६ नौ बड़े चरणों की नाप १३४ ४८१ आगम प्रमाण से ईशान के सब
दृष्टान्त पूर्वक विमानों की १३८ विमानों की संख्या
विशालता दूसर देवलोक के विमानों की . ८६
५०१ चार देवलोक विमानों की १४४ विगत
कैसी गति तथा चरणों की माप ४८३ त्रिकोण तथा पुष्पावर्कीण ६३
५०२ अच्युत आदि सर्व देव लोक १४७ विमानों का आकार ..
के विमानों की गति ४८४ विमानों द्वार-किला-वेदिका के
५०३ जीवाभिगम सूत्र के प्रमाण से १५१
५०४ प्रथम चरण से किस रीति से १५२ विषय में ४८५ . विमानों का आधार
.. किस देव लोक के पारगामी है । ४८६ विमानों का प्राकार से विस्तार : १०४
५०५ दूसरे चरण से किस रीति से १५६
किस देवलोक ने माप सकें ४८७ प्राकार के द्वार का विस्तार १०६
५०६ तीसरे चरण से किस रीति से ४८८ द्वार तथा ध्वजाओं पर चित्रों १०७
किस देवलोक को मा १५६ को शोभा
५०७ चौथे चरण से किस रीति से १६२ ४८६ किले के कंगूरों का विस्तार ११०
किस देवलोक को मा ४६० विमानों-पृथ्वी पिंड़ तथा प्रासादों११२
५०८ इस गति से कल्याणेत्सव १६५ के विषय में
समय की गति के विषय में ४६१ विमानों की उच्चता
५०६ विमानों का वर्ण १७१ ४६२ विमानों के दो प्रकार ।
५१० देवलोक में दिन-रात नहीं इ. ७५ ४६३ विमानों की लम्बाई आदि
सम्बंध में ४६४ ४५ लाख योजन प्रमाण क्या- १२१/११
देवलोक की सुगंध तथा स्पर्श १७६ क्या है
के विषय में ४६५ विमानों के पार जाने की रीति १२४/५१२ विमानों की चारों दिशाओं के १८३ प्रमाण पूर्वक (दृष्टान्त से)
बन खंड़ों के नाम
गत से)