Book Title: Leshya Ek Vishleshan
Author(s): Devendramuni Shastri
Publisher: Z_Bhanvarlal_Nahta_Abhinandan_Granth_012041.pdf

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Page 9
________________ प्रकृति और शरीर पर ही नहीं, किन्तु मन पर भी रंगों उत्पन्न नहीं करते इसलिए वे अप्रशस्त व अशभ हैं और का प्रभाव पड़ता है जैसे, काले रंग से मन में असंयम, कहीं पर अच्छे विचारों को उत्पन्न करते हैं, अतः वे हिंसा एवं करता के विचार लहराने लगेंगे। नीले रंग प्रशस्त व शभ है। क्रोध से अग्नि तत्त्व प्रदीप्त हो जाता से मन में ईर्ष्या, असहिष्णता, रस-लोलुपता एवं विषयों है, उसका वर्ण लाल माना गया है। मोह से जल तत्त्व के प्रति आसक्ति व आकर्षण उत्पन्न होता है। कापोत की अभिवृद्धि हो जाती है, उसका वर्ण सफेद या बैगनी रंग से मन में वक्रता, कुटिलता अंगड़ाइयाँ लेने लगती माना गया है। भय से पृथ्वी तत्त्व प्रधान हो जाता है, हैं। अरुण रंग से मन में ऋजुता, विनम्रता एवं धर्म प्रेम इसका वर्ण पीला है। लेश्याओं के वर्णन में भी क्रोध, की पवित्र भावनाएं पैदा होती हैं। पीले रंग से मन में मोह, और भय आदि अन्तर में रहे हुए हैं और उनका क्रोध-मान माया-लोभ आदि कषाय नष्ट होते हैं और मानस पर असर होता है। कहीं पर श्याम रंग को भी साधक के मन में इन्द्रिय विजय के भाव तरंगित होते हैं। प्रशस्त माना है जैसे नमस्कार महामन्त्र के पदों के सफेद रंग से मन में अपूर्व शान्ति तथा जितेन्द्रियता के साथ जिन रंगों की कल्पना की गयी है उसमें 'नमो निर्मल भावों का संचार होता है। लोए सव्वसाहणं' का वर्ण कृष्ण बताया है। साधु अन्य दृष्टि से भी रंगों का मानसिक विचारों पर जो के साथ जो कृष्ण वर्ण की योजना की गयी है वह कृष्ण प्रभाव होता है उसका वर्गीकरण चिन्तकों ने अन्य रूप से लेश्या जो निकृष्टतम चित्तवृत्ति को समुत्पन्न करने हेतु अप्रशस्त कृष्ण वर्ण है उससे पृथक है, कृष्ण लेश्या का जो प्रस्तुत किया है, यद्यपि वह द्वितीय वर्गीकरण से कुछ पृथ कृष्ण वर्ण है उससे साधु का जो कृष्णवर्ण है वह भिन्न है कता लिए है। जैसे, आसमानी रंग से भक्ति सम्बन्धी और प्रशस्त है। भावनाएं जाग्रत होती है। लाल रंग से काम-वासनाएं उबुद्ध होती है। पीले रंग से तार्किक शक्ति की अभी- पाश्चात्य देशों में वैज्ञानिक रंगों के सम्बन्ध में वद्धि होती है। गुलाबी रंग से प्रेम विषयक भावनाएं गम्भीर अध्ययन कर रहे हैं। कलर थेरॉपी रंग के आधार जाग्रत होती है। हरे रंग से मन में स्वार्थ की भावनाएं पर समुत्पन्न हुई है। रंग से मानव के चित्त व शरीर पनपती है। लाल व काले रंग का मिश्रण होने पर मन की भी चिकित्सा प्रारम्भ हुई है जिसके परिणाम भी बहुत में क्रोध भड़कता है। अच्छे आये हैं ।४२ जब हम इन दोनों प्रकार के रंगों के वर्गीकरण पर आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से विद्युत चुम्बकीय तरंगें तुलनात्मक दृष्टि से चिन्तन करते हैं तो ऐसा ज्ञात होता बहुत ही सूक्ष्म हैं। वे विराट विश्व में गति कर रही हैं। है कि प्रत्येक रंग प्रशस्त और अप्रशस्त दो प्रकार का है। वैज्ञानिकों ने विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का सामान्य रूप कहीं पर लाल, पीले और सफेद रंग अच्छे विचारों को से विभाजन इस प्रकार से किया है : रेडियो तरंगें सूक्ष्म तरंगें अवरक्त दृश्यमान | परा बैगनी एक्स-रे गामा किरणे तरंग दैर्घ्य प्रस्तुत चार्ट से यह स्पष्ट होता है कि विश्व में जितनी विकिरणों का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है जो विकिरणे भी विकिरणें हैं उन विकरणों की तुलना में जो दिखायी दृष्टिगोचर नहीं होती है। त्रिपार्श्व के माध्यम से उनके सात देती है उन विकिरणों का स्थान नहीं जैसा है। पर उन वर्ण देख सकते हैं। जैसे बैगनी, नीला, आकाश सटश ४२ देखिए 'अषुओर आभा', ले० प्रो० जे० सी० ट्रस्ट । ४४ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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