Book Title: Lekh Sangraha Part 01
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 19
________________ 382 १२वीं १३वीं .१२वीं व्यासर्षि 380 न्यायकंदलीटीका श्रीधर भट्ट १४वीं 381 (2) न्यायकन्दलीटीका श्रीधर भट्ट १२वीं न्यायवार्तिक उद्योतकर १४वीं 383 (1) प्रशस्तपादभाष्य प्रशस्तपाद 384 खंडनखंडखाद्यशिष्यहितैषिणीवृत्ति १३वीं 385 खंडनखंडखाद्य श्रीहर्ष 1291 386 न्यायमंजरी-ग्रंथि भंग चक्रधर 387 (1) शाबरभाष्य 1114 388 (1) इष्टसिद्धि वृत्ति सह परमहंस विमुक्तात्माचार्य १२वीं 388(2) भगवद्गीता भाष्यसह शंकरस्वामी १२वीं 389 गौतमीयन्यायसूत्रवृत्ति 1208 390 भाष्यवार्त्तिकवृत्तिविवरणपंजिका अनिरुद्ध पंडित . . १३वीं 391 (1) सांख्यसप्ततिका भाष्य गौडपाद 1200 391 (2) सांख्यतत्त्वकौमुदी वाचस्पतिमिश्र 1200 391 (3) सांख्यसप्ततिका ईश्वरकृष्ण . 1200 395 (1) पातंजलयोगदर्शनभाष्य वृत्ति वाचस्पतिमिश्र 395 (2) पातंजलयोगदर्शन भाष्य १२वीं इसी प्रकार रस और अलंकार शास्त्र सम्बन्धी ग्रन्थों की भी अन्यत्र दुष्प्राप्य प्राचीनतम प्रतियाँ इस भंडार में उपलब्ध हैं - 318 काव्यमीमांसा राजशेखर , 1216 322 काव्यप्रकाश टिप्पणीसह मम्मट, अलक. 1215 324 काव्यप्रकाश अवचूरि 325 व्यक्तिविवेक काव्यालंकार राजानंक महिम 332 रुद्रटालंकारटिप्पनक नमिसाधु / 1206 326 (1) काव्यादर्श दंडी 1161 326 (3) काव्यादर्श दंडी १३वीं 327 वक्रोक्तिजीवित सटीक कुंतक १३वीं 329 उद्भटकाव्यालंकारलघुवृत्ति टी. प्रतीहारेंदुराज 1160 331 अभिधावृत्तिमातृका मुकुल भट्ट १३वीं वामनीय काव्यालंकार वामन १३वीं स्वोपज्ञवृत्ति टिप्पणीसह इसी प्रकार कविरहस्य सटीक (1216), भट्टिकाव्य वृत्ति (१३वीं), नैषधीय चरित (1378), नैषधीय साहित्य विद्याधरी टीका (१४वीं), विक्रमांक चरित (1343), षट्लघुकाव्य (1215, 1243), वासवदत्ता (1207), चक्रपाणिविजय (१४वीं), गौडवहो सटीक (१३वीं) आदि काव्यों तथा अनर्घराघव १४वीं १३वीं लेख संग्रह

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