Book Title: Laghu Hemprabhaya Uttararddha
Author(s): Vijaynemsuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ अशुद्धम्. क्ता श्लिषति शम् जिगाय । सुं क्यङा धुं स्वप्न-ध्र ग्लुञ्चू ऋदिच्छ्वि त्युक्ते मुज मृजु ज्झट की लघुहेमप्रभाया उत्तरार्द्धस्य शुद्धिपत्रम् ॥ ऋदि-च्युत प्रतीकरो खद णदु-र्नृन् अस्कन्दत् र्न दि सप्लं --- शुद्धम. ऊत्वे क्त्वा ई श्लिष्यति शम् जिगाय । जिगय | खुं क्ययङा घुं स्वप्ने ग्लुचू ग्लुञ्चू ऋदिच्छ्वि त्युक्तः हूर्छा - मूर्छा स्फूर्छा स्मूर्छा हुर्छा मुर्छा-स्फुर्छा मुर्छा २१ पान्त पान्त्य २१ २२ २३ मुज मुजु मृज मृजु झट क्रीड ऋदि-चु प्रतिकरो पृष्ठम् पङ्किः रद नदु- अस्कदत् न च द्वि सृप्लं ब-ब-ब-ब ११. १२ १४ १५ १५ १६ १६ १८ २१ २१ २१ 2 २७ २८ ११ १४ १९ १८ m २४ २४ २५ २६ २६ १२ २६. १६. २७ ५. १९ ७० १९ १०

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 416