Book Title: Laghu Hemprabhaya Uttararddha
Author(s): Vijaynemsuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 11
________________ किम ब्री यमरम्यादीनां तनादीनां गीले सकृत् रिंत्री न्तः घे टयभा किम कोशी क्षितापु वि गत् लाम कोनो शोवव शालादि त्प किञ्च गमृ शङ्ग हृणः भ्रण भ्यः शम्वः वृङः एण्यः शृङार किम्... व्री यमरम्यादीनां श्रीले शकृत् रिव न्तपः वे व्यम्भा किम क्रोशी क्षितायु बि छत् लोम कानौ शावेव शीलादि त्य किञ्ज गभृ हूणः भ्रूण भ्य शम्बः -टङ एण्यः शृङ्गार १८८ १८९ १६७ २ -१६७ १-४ १६८ - ४ १७०१७ १७१ ३-४ १७१ ..४ १७२ १२ १७३ १७४ १७७ १७७ २० १८२ ३ १८२ २४ १८५ १ १९० १९४ ( ७ ) B २०४ २१० २१४ २१७ १३ .. १७ V १९ २ १६ १९६ १९ १९९ १० २०१ १८ २०२ ४ ३ २०३ २१ २०४ २ २० o m

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