Book Title: Laghu Hemprabhaya Purvarddha
Author(s): Vijaynemsuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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चितीवार्थ
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१.८३ चन्द्रयुक्तात्-ते ६।२।६।। ६२ २३६ चन्द्रायणं च चरति ६।४ । ८२॥ २५४ ___चरकमा-नञ् ७।१।३९ ॥ १७ चरणस्य स्थेणो-दे ३।१।१३८ ॥ २१३ २२१ चरणादक ६।३ । १६८ ॥
चरणार्मवत् ६।२।२३ ॥ २४१ २२९ चरति
६।४।११ ॥ २२८ २५५ चर्मण्य-३ । १ । ४५ ॥ १९४ २७३ चर्मण्वत्य-त्
२।।९६॥ १८६ चर्मशुन:-चे ७।४ । ६४ ॥ १३३ १७२ चर्मिवमिरात् ६।१।११२ ॥ १३९ चवर्गद-रे
७।३। ९८ ॥ २३६ चातुर्मास्यन्-च ६।४। ८५ २५५
चादयोऽसत्वे १।१।३१ ।। १७ चादिः नाङ् १।२ । ३६ ॥ २२५ १३४ चार्थे इन्द्रः सहोक्तो ३ ।। ११७ ॥ २२१
'चित्रावती-याम चिरपरुत्प-स्त्नः चूडादिभ्योऽण चूर्णमुद्रा-णौ चैत्रीकार्तिकी-द्वा चौरादेः चौ कचित्
६।३।१०८॥ ६।३। ८५ ॥ ६।४।१९ ॥ ६।४। ७ ॥ ६।२ । १०० ॥ ७।१। ७३ ॥ ३।२।६० ॥
२५९
२१८
छगलिनो यिन् छदिबलेरेयण छन्दसो यः छन्दस्यः छन्दोगौ-घे
६।३।१८५ ॥ ७।१। ४७ ॥ ६।३। १४७॥ ६।३ । १९७॥ ६।३।१६६॥

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