Book Title: Laghu Ane Bruhat Prakrit Vyakaran
Author(s): Dalichand Pitambardas
Publisher: Dalichand Pitambardas

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Page 10
________________ प्राकृत-व्याकरणम् । साधारण नियमाः। १॥ अथ प्राकृतम् ॥ १-१ अथशब्द आनन्तर्यार्थो ऽधिकारार्थश्च । प्रकृतिः संस्कृतं, तत्र भवं तत आगतं वा “प्राकृतम्" । प्राकृते च प्रकृति, प्रसय, लिङ्ग, कारक, समास, संज्ञादयः संस्कृतवद् वेदितव्याः। ___ अथ शन, मने पाथी भावना नियम ९५२ रातो साधार, थेट अधिकार, मतावेछ. संस्कृत भाषाने प्रकृति छ, तेमाथी उत्पन्न थयेसी भाषामाने साधा२९३ रीत प्राकृत छ. संस्कृत अने प्राकृत थे ये भाषायानां व्या३२९ मां प्रकृति, प्रत्यय, ति, विमति, सभास, त्याहि संज्ञायो । સરખી જ સમજવી; જરાપણ તફાવત કર્યો નથી. प्राकृत मधिक्रियते। वे प्राकृत भाषामान नियमथा विवेचन કરીએ છીએ. २॥ लोका दवगन्तव्यः ॥ १-१ (अंतर्गत.) प्राकृते वर्णसमानायो लोका दवगन्तव्यः । यथा (१) अत्र ऋशल,ऐ,औइत्येतान् विहायापरे स्वरा विद्यन्ते।

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