________________
१. (ग) प्र० शिवश्रीजी का साध्वो-मण्डल प्र० शिवश्री जी (सिंहश्री जी) की अनेक शिष्यायें थीं, जिनमें से केवल ६ के ही नाम प्राप्त होते हैं-१.प्रतापश्री, २. देवश्री, ३.प्रेम श्री, ४. ज्ञानश्री, ५. बल्लभश्री, ६. विमलश्री, ७. जयवन्तश्री, ८. प्रमोदश्री ह. घेवरश्री। इनमें से क्रमांक १, २, ३, ५ एवं ८ क्रमशः प्रवर्तिनी पद से विभूषित भी हुई। इस मंडल/समुदाय की वर्तमान समय में विद्यमान साध्वीगण की दीक्षा-सूची तो 'परिचय पुस्तिका' में व्यवस्थित रूप में प्राप्त है, किन्तु इससे भी अधिक प्राचीन स्वर्गस्थ साध्वियों की सूची प्राप्त नहीं है। फिर भी प्राप्त उल्लेखों एवं स्मृति के अनुसार उनका यत्किचित् उल्लेख किया जा रहा है। इस सूची में छोटेबड़े का उल्लेख गलत भी हो सकता है। और, अंकित नाम उनकी शिष्याओं के हैं या प्रशिष्याओं के हैं ? इसमें असावधानी भी हो सकती है। साधन और सहयोग के अभाव में ऐसी त्रुटियां होना सरल हैं और विद्वज्जनों द्वारा क्षन्तव्य भी।
अब शिवश्री जी की ६ शिष्याओं और प्रशिष्याओं आदि के क्रमशः नामोल्लेख प्रस्तुत किये जा रहे हैं
१. प्र० प्रताप श्री-जन्म सं० १९२५ पौष सुदि १० फलोदी, जन्म नाम-आसीबाई । दीक्षा सं० १९४७ मिगसर वदि १०, स्वर्गवास १९६७ फलौदी। १२ शिष्यायें थीं, जिनके नाम निम्न हैं
१. सोभागश्री, ३. पद्मश्री, ३. विनयश्री, ४. चैतन्यश्री (नाथीबाई, जन्म १९५६, दीक्षा १९६७, सं० १९८३) ५. दर्शनश्री, ६. ऋद्धिश्री, ७. लब्धिश्री, ८. निर्मलश्री, ६. ललितश्री,
For Personal and Private Use Only
Jain Educationa International
www.jainelibrary.org