Book Title: Khartar Gaccha Diksha Nandi Suchi
Author(s): Bhanvarlal Nahta, Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 258
________________ २०१ खरतरगच्छ दीक्षा नन्दी सूची महोदय मुनि, नीतिमुनि, गयवर मुनि, गुलाबमुनि, मनहर मुनि । गुलाब मुनि के शिष्य थे-रत्नाकर मुनि । प्रताप मुनि-तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे, अतः उनकी शिष्य-परम्परा यहां नहीं दी जा रही है। ३. कान्तिमुनि-जन्म नाम बादरमल, पालनपुर के। बड़ी दीक्षा १९४३ मिगसर वदि २ जोधपुर। इनके दो शिष्य थे-नयमुनि, जीवन मुनि । किस गच्छ की क्रिया करते थे ? अज्ञात है। ४. पं० हर्ष मुनि-दीक्षा-१९४४ चैत्र सुदि ८, पंन्यास पद १९५८ जिनयशसूरि द्वारा। शिष्य-परम्परा विशाल । तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे। ५. उद्योत मुनि-जन्म नाम उजम भाई, महेसाणा के । दीक्षा १९४६ जेठ वदि ११ सूरत । शिष्य परम्परा विशाल । तपागच्छीय परम्परा में चले गये थे। ६. राजमुनि-जन्म नाम राजमल, महीदपुर के । दीक्षा १६४६ जेठ वदि ११ सूरत। इनके तीन शिष्य थे-उपाध्याय लब्धिमुनि, छगनमुनि, जिनरत्नसूरि । उपाध्याय लब्धिमुनि (जन्म १९३५, जन्म नाम लधाभाई, दीक्षा १९५८ चैत्र वदि ३)के शिष्य थे--मेघ मुनि (जन्म नाम-वेलजीभाई, मोटी खाखर के, दीक्षा १६६-मा० सु० १०) है । एक महेन्द्रमुनि जी भी थे जो उ० लब्धिमुनिजी के भ्राता थे। इनका नाम भानजी भाई था। दीक्षा १९८८ पो० सु० १० और स्वर्गवास १९६२ चैत्र सु० २ । किनके शिष्य थे? अन्वेषणीय है। जिनरत्नसरि-जन्म नाम देवजी भाई, लायजा के। दीक्षा १९५८ चैत्र वदि ३ । आचार्य पद १६६७ बंबई, स्वर्गवास २०११ माघ सुदि १ अंजार । इनके ३ शिष्य थे-गणि प्रेममुनि, दर्शनमुनि, भद्रमुनि। गणि प्रेममुनि की दीक्षा १९६६ बंबई में हुई थी। इनका शिष्य था-मुक्तिमुनि (बड़ी दीक्षा १९८६ वै० शुक्ल ११)। भद्रमुनि (दीक्षा १६६२ वै० सु० ८) ही स्वतन्त्र साधक बनकर योगीराज सहजानन्दजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। ७. देवमुनि-जन्म नाम छगनलाल मातर के । दीक्षा १६४६ सूरत । इनके ५ शिष्य थे-गणि भावमुनि (स्व० २००५ कोटा), भानुमुनि, कर्पूर मुनि, सुमति मुनि, लक्ष्मीमुनि । सुमति मुनि के शिष्य थे-तारा मुनि। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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