Book Title: Ketlak Madhyakalin Shabdo Author(s): Jayant Kothari Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ अमलीमाण 'ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह' (संपा. अगरचंद नाहटा ) मां अमलीमान शब्द आ प्रमाण वपरायेला मळे छे : जग मांहे अमलीमान सूरि ज तेज समान संपाद के 'निर्मल मानवाला' एवो अर्थ आप्यो छे ते भूलभरेलो छे. अमली ए शब्द सं. अमर्दित परथी आवेलो छे. अमलीमान एटले जेनुं मान अमर्दित, अखंडित रघु छे एवी. "जिनराज कृति कुसुमांजलि मां पंक्ति छे : बंधव अमलीमाण. अमलीमाणनो अर्थ 'अगंजित' (अपराजित) आप्यो छे ते चाली शके. मान मर्दित न थवं एटले अपराजित रहेवुं. अमाइ, अमामो, अमाणुं, अमान 'तेरा-चौदमा शतकनां त्रण प्राचीन गुजराती काव्यो' (संपा. हरिवल्लभ भायाणी) मां अमाइ शब्द आ प्रमाणे वपरायेलो मळे छे : लहिय छिद्यं सवि दुख अमाइ संपाद के शब्दकोशमां अमा- सामे प्रश्नार्थ मूक्यो छे, परंतु एमणे आ पंक्तिनो अनुवाद 'लाग मळतां सौ दुःख आवी पडे छे' एवो आप्यो छे. अमाइनो 'आबी पडे छे', एवो अर्थ संदर्भथी बेसाडेलो छे ए स्पष्ट छे. माइ एटले 'माय, समाय'. अमाइ एनो विरोधी शब्द होवानुं समजाय छे. अमाइ एटले 'न माय' एटलेके 'ऊभराय'. 'छिद्र / लाग मळतां सौ दुःख ऊभराय छे' एम ए अर्थ बराबर बंध बेसी जाय छे. ए नोंध जोईए के राजस्थानी कोश अमाइ शब्दनो 'अप्रमाण, बहुत, 'अधिक' एवो अर्थ आपे छे, त्यां अमाइ क्रियापद नहीं पण विशेषण छे. अमा- परथी बनेलो बीजो एक विशेषणशब्द छे अमामो 'जिनराज - कृति कुसुमांजलि' मां ए वपरायेलो छे : (१) एकण दूध अमामो दीयां, घृतनो बीडो बीजी लीयो. (२) चरणकरण धन माल, अमामो लूटिसी. पहेली पंक्तिने संदर्भे संपादके 'अमूल्य' अर्थ आप्यो छे तेमां कंईक भ्रान्ति थयेली जणाय छे. अमामो शब्दना मूळमां अमा- होवानुं स्पष्ट छे, आथी एनो अर्थ 'न माय तेटलु, [ 38 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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