Book Title: Kavyashatakam Mulam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 6
________________ नारा पोपटना राम राम जेवं अध्ययन न करतां तेमनं अध्ययन तेमने ज बोध प्रापतुं अने ते पोताना ज जीवनने उन्नत्त बनावी देता. मनस्यन्यद् वचस्यन्यद् कार्यमन्यदुरात्मनाम् / मनस्येकं वचस्येकं कार्यमेकं महात्मनाम् // उत्तम पुरुषोने छाजे तेवू शीखवं आचरवू अने तेमां स्थिर रहे ते अध्ययन कर्यानु पाद्य फल छे. सौ ते पामो अने मलेला मानव भवने पाप पापनी मति पापना पक्षपात थी दूर करी सद्गतिनी परंपरा द्वारा जन्म मरण रूप भवना फेराथी मुक्त बनो एज अभिलाषा. 2047 भाद्रपद पूर्णिमा तपागच्छ जैन उपाश्रय 45 दिग्विजय प्लोट जामनगर (सौराष्ट्र) . . हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरीश्वर पट्टधरः आचार्य जिनेन्द्र सूरि

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