Book Title: Kaumudimitranandrupakam
Author(s): Ramchandrasuri, 
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 4
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत प्रकरण कौमुदीमित्रानन्द के रचयिता रामचन्द्रसूरि हैं जिनका समय ईसा की १२वीं शताब्दी है । ये कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य के पट्टशिष्य थे। इन्होंने अनेक ग्रन्थों की रचना की थी जिनमें से ३९ ग्रन्थ ही अद्यावधि उपलब्ध हुए हैं। ये केवल कवि ही नहीं आचार्य भी थे, गुणचन्द्र के साथ मिलकर इन्होंने प्रसिद्ध नाट्यशास्त्रीय ग्रन्थ ‘नाट्यदर्पण' की रचना की थी। इसके पूर्व हमने रामचन्द्रसूरि के दो रूपकों निर्भयभीमव्यायोग, अनुवादक डॉ० धीरेन्द्र मिश्र, सम्पा० डॉ० अशोक कुमार सिंह, नलविलासनाटकम्, अनुवादक डॉ० धीरेन्द्र मिश्र, सम्पा० प्रो० सुरेशचन्द्र पाण्डेय, का प्रकाशन किया। हिन्दी अनुवाद तथा विस्तृत भूमिका के साथ प्रकाशित यह कौमुदीमित्रानन्द नामक प्रकरण सुधीजनों के समक्ष उपस्थित है। इसके गुण-दोषों का वे ही विचार कर सकते हैं। अनुवाद और भूमिका लेखक डॉ० श्यामानन्द मिश्र, संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के शोध छात्र रहे है। संस्कृत भाषा एवं साहित्य के उदीयमान अध्येता श्री श्यामानन्द ने यह कृति हमें प्रकाशनार्थ दी इसके लिए हम उनके प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। आशा है उनकी लेखनी से भविष्य में भी इसी प्रकार के अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हो सकेंगे। ग्रन्थ का सम्पादन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह ने किया है। इसके लिए हम उनके आभारी हैं। उन्होंने इस ग्रन्थ का प्रूफ-संशोधन भी किया है। हम प्रो० सागरमल जैन के भी आभारी हैं, जिन्होंने इसका अवलोकन कर इस कृति के अनुवाद में रही हुई कुछ असंगतियों को दूर किया और प्राक्कथन लिखकर अनुगृहीत किया। प्रकाशन व्यवस्था में सहायक रहे हैं - डॉ० विजय कुमार जैन (प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ), एतदर्थ वे भी धन्यवाद के पात्र हैं। उत्कृष्ट अक्षर-संयोजन के लिए श्री अजय कुमार चौहान, सरिता कम्प्यूटर्स एवं सुरुचिपूर्ण मुद्रण के लिए वर्द्धमान मुद्रणालय, वाराणसी के भी हम आभारी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only भूपेन्द्रनाथ जैन मानद सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी www.jainelibrary.org

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