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Dt. 19-07-2018 31
से आँसू बह निकलते थे, जिन्हें तुरंत सम्हालकर, स्वस्थ हो जाता था और हमारे देशभक्त पिताजी द्वारा बारबार सिखाये गये इस शिक्षापाठ को याद कर उठता था
"दुःख से, सितम से पिघल कर रोने लगें,
उसके बजाय बेहतर है कि उससे सुलग उठकर लड़ने लगें ।" एक बार की बात है ।
एक सितम सहनेवाले को उसने जब यह सुनाया तब वह बोल उठा -
"बिलकुल ठीक, एकदम बराबर। यही तो हम करने आये हैं । ".
"परंतु हमें हमारे मार्ग को बदलना है और अधिक कठोररूप से और तुरन्त ही लड़ना है" कीर्तिने कहा ।
" तो यह हम कैसे करें ?" उन लोगों ने पूछा । कीर्तिने उन्हें मार्गदर्शन दिया
"आप लोगों में से कुछ लोग ऐसी घट रहीं घटनाओं की ज़मीनीतौर पर मूलभूत रूप में जहाँ वे घट रहीं हों उनकी सतत निगरानी रखेंगे और तुरन्त ही सूचना देंगे। दूसरा ग्रुप लगातार नज़र रखेगा 'रेड लाइट एरिया' पर और तीसरा ग्रुप सदा ही तैयार Everyday रहेगा लड़ने के लिये उन अपहरण कर्ता गुंडों के साथ फिर चाहे कितने भी बलशाली वे क्यों न हों और उनके पंजों से उन निरीह बेगुनाह बालाओं को छुड़ाकर, बचाकर, मुक्त करेगा ।" "बराबर है, कीर्ति बाबु ।" समर्पित क्रान्ति कार्यकर्ताओंने दृढ़तापूर्ण उत्तर दिया ।
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• कीर्ति स्मृति •
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"लेकिन ख्याल रखें • आप सभी को बड़ी सावधानी से काम करना होगा और सब के ऊपर ऐसी छुड़ाई गई मुक्त की गई बालाओं को आपकी बहन-बेटियों की तरह मानना और सम्हालना होगा, अपना चरित्र शुद्ध रखना होगा। उन्हें तुरन्त ही उन के रोते तड़पते माता-पिताओं तक पहुंचाना होगा ।" कीर्तिने उन्हें सावधान किया ।
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(31)
"बाबुजी, हम भगवान के नाम से सौगन्द लेते हैं कि हम आप की इच्छा और कहने के मुताबिक पूरा का पूरा काम करेंगे ।" एक ने सम्मति दी, जब कि दूसरे को दूसरे प्रकार की शंका थी :
"यह सब हम करेंगे ही, लेकिन एक खुलासा....."
“हाँ मनीराम ! संकोच मत रखो, मुझ से कहो, क्या स्पष्टता तुम चाहते हो ?"
कीर्ति ने पूछा और उस बहादुर बाहुबली ने अपनी शंका बेधड़क रखी :
"बाबु... ! आपसे हमने पूरे दिल से नहीं मारने का अहिंसामार्ग अपनाया है, लेकिन अपहरण की गई और बंदी बनाई गई बालाओं को बचाने और गुंडों की चुंगल से छुड़वाने के जंग के दौरान हमें भारी लोहा लेकर लड़ना पड़ सकता हैं। इसमें कभी कभी क्रूर अपहरणकर्ताओं का काम तमाम भी कर देना पड़ सकता है, मौत के घाट तक उतार देना पड़ सकता है। और आप अहिंसा पर ज़ोर दे रहे हैं।"
कीर्ति ने बेधडक स्पष्ट किया -