Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 02
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman,
Publisher: Shubhabhilasha Trust
View full book text
________________
भासगाहा-३२९०-३३०२] बीओ उद्देसो
४२५ "एमेव होइ वगडा०' गाहा । वगडाए वि चउव्विहो णिक्खेवो । एस मासकप्पे वन्निओ। ‘दव्वम्मि तिप्पगारे'त्ति सचित्ता अच्चित्ता मीसिया । वगडि त्ति वा वइ त्ति वा एगटुं। घरवगडाए अधीयारो । सो पुण इमेरिसो -
वलया कोट्ठागारा, हेट्ठा भूमी य होइ रमणिज्जा । बीएहिं विप्पमुक्को, उवस्सओ एरिसो होइ ॥३२९७॥ कडपल्लाणं सण्णा, तणपल्लाणं च देसितो वलया । निप्परिसाडिम भुज्जतगा य कयभूमिकम्मंता ॥३२९८॥
"वलया कोट्ठागारा०" ["कडपल्लाणं०"] गाहा । वलयाण व्याख्या-कडिवल्लि त्ति वा धण्णसाल त्ति वा तणपल्लि त्ति वा वलय त्ति वा एगटुं । तेसिं मालाबद्धा, तेसु मालेसु धण्णाणि कीरंति, हेट्ठा य से भूमी रमणिज्जा । कोट्ठागारा अस्य व्याख्या
चाउस्सालघरेसु व, जत्थोव्वर-कोट्ठएसु धण्णाइं । निच्चट्ठइतमभोगा, तेसु निवासं न वारेइ ॥३२९९॥
"चाउस्साल०" गाहा । कण्ठ्या। उववरओ त्ति कोट्ठगो त्ति वा एगटुं । चाउस्साले जेसु उव्वरएसु साली कओ, निच्चठइत्ता य अच्छंति । सेसएसु उव्वरिएसु खणिएसु निवासं न वारेइ । एएसु कप्पइ । जो पुण
सालीहिं वीहीहिं, तिल-कुलत्थेहिं विप्पकिण्णेहिं ।
आदिण्णे वितिकिण्णे, अहलंद ण कप्पती वासो ॥३३००॥ [नि०] "सालीहिं०" गाहा । पुरातना । एतीसे' विभासागाहाओ तिन्नि । सालीहि व वीहीहि व, इति उत्ते होति एतदुत्तं तु । सालीमादीयाणं, होति पगारा बहुविहा उ ॥३३०१॥ “सालीहिं व०" गाहा । कण्ठ्या । उक्खित्त भिन्नरासी, विक्खित्ते तेसि होति संबंधो । वितिकिण्णे सम्मेलो, विपइण्णे संथडं जाणे ॥३३०२॥ "उक्खित्त०" गाहा । कण्ठ्या ।
१. एगीसे अ इ ।

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 423