Book Title: Kamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shivnarayan Saxena
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 3
________________ स्व०ब्र-शीतलप्रसादजी स्मारक ग्रंथमाला पुष्प नं. १७ का निवेदन करीब ६०-७० दि० जैन ग्रन्थों के लेखक, अनुवादक. टोका कार व सम्पादक तथा दि० जैन समाजमें अनेक संस्थाओं के कर्ता, जन्मदाता और "जैनमित्र" साप्ताहिक पत्रकी ३५ वर्षोंतक अविरत सेवा करनेवाले तथा कुछ वर्ष 'वीर' आदिके पत्रोंके सम्पादक जैनधर्मभूषण, धर्मदिवाकर, श्री ब्र० शीतल सादजी (लखनऊ नि०) का स्वर्गवास करीब ६५ वर्षकी बायुमें और सं० २४६८ विक्र० सं० १९९८ में लखनऊमें हो गया तब हमने मापकी धर्मसेवा, जातिसेवा, "जैनमित्र" की रातदिन अथक सेवाके स्मारकके लिये आपके नामको प्रथमाला निकालने का व उसे "जैनमित्र" के ग्राहकों को भेंट देनेकी १००८०) की अपील की थी तो उसमें ६०००) भरे गये थे तो भी हमने जैसा-तेग प्रबन्ध करके इस ग्रन्थमालाको स्थापना आज से २१ वर्षपर की थी। __ इस प्रन्धमालासे प्रतिवर्ष १-१ ग्रन्थ भेंट देनेका खर्च नहुन अधिक होता है। अतः हमने "जैन मित्र" के प्रत्येक प्राहकसे प्रतिवर्ष १) अधिक लेने की योजना को है जिससे ही इतनी बड़ी ग्रन्थमाळा चालू रह सकी है । चालू रखना हो है। इस ग्रंथमाला द्वारा आजतक १६ जैन ग्रन्थ प्रकट करके "जैनमित्र" के ग्राहकों को भेंट कर चुके हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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