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કલશાકૃત ભાગ-૨
ભેદવિજ્ઞાની જીવ કર્મનો કર્તા નથી, માત્ર દર્શક છે. (सवैया भेऽत्रीसा )
जैसैं राजहंसके
वदनके
सपरसत,
देखिये प्रगट न्यारौ छीर न्यारौ नीर है। तैसैं समकितीकी सुदृष्टि मैं सहज रूप,
न्यारौ जीव न्यारौ कर्म न्यारौ ही सरीर है। जब सुद्ध चेतनको अनुभौ अभ्यासै तब,
भासै आपु अचल न दूजौ और सीर है। पूरव करम उदै आइके दिखाई देइ,
करता न होय तिन्हको तमासगीर है ।। १५ ।। (ऽलश-१४-१८)
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