Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 8
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 409
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ३९४ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.पे. नाम. आत्मरक्षा नवपदनू वज्रपंजर स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण. वज्रपंजर स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: परमेष्टी नमस्कार; अंति: राधिश्चापि कदाचन, श्लोक-८. २. पे. नाम. जैनमंत्र संग्रह, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. मंत्र संग्रह, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (वि. अंग शुद्धि आदि मंत्रों का संग्रह है.) ३३६५२. यतिप्रतिक्रमण सूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७X१२.५, १२४४१). पगामसज्झायसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: करेमि भंते. चत्तारि०; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं. ३३६५३. यतिप्रतिक्रमण सूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७७१२.५, १२४४२). पगामसज्झायसूत्र, हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: नमो अ० करेमि; अंति: वंदामि जिणे चउवीसं. ३३६५४. श्रावक प्रतिक्रमण, संपूर्ण, वि. १९२८, श्रावण शुक्ल, १०, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. बिणोलो, प्रले. मु. मंगलसेन, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२६.५४१३, १७४३८). श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र संग्रह, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं; अंति: वंदामि जिणे चोविसं. ३३६५५. पंचपरमेष्टीस्तोत्र सह विवरण, संपूर्ण, वि. १९४८, ज्येष्ठ शुक्ल, १०, बुधवार, श्रेष्ठ, पृ. ४, ले.स्थल. रतलाम, प्रले. सीताराम मनीराम व्यास, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (२७४१२.५, १-८४३८-४३). पंचपरमेष्ठि नमस्कार स्तोत्र, आ. मानतुंगसूरि, प्रा., पद्य, आदि: भत्तिभर अमर पणय; अंति: पुत्थय भरेहि, गाथा-३५. पंचपरमेष्ठि नमस्कार स्तोत्र-अवचूरी, सं., गद्य, आदि: भक्ति भरामर प्रणतं; अंति: (१)पठत पुस्तकभरेण, (२)साधव सदा स्मरतः. ३३६५६. चउवीसदंडक विचारछत्रीसी, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, जैदे., (२७४१२, ११४३७-३८). दंडक प्रकरण, मु. गजसार, प्रा., पद्य, वि. १५७९, आदि: नमिउंचउवीस जिणे; अंति: एसा विणत्ति अप्पहिया, गाथा-४४. ३३६५७. स्थापनाकल्प सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१३, १२४३५). स्थापनाकल्प सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: पूरव नवमथी उद्धरी; अंति: वाचक यश गुण गेहरे, गाथा-१५. ३३६५८. स्थापनाकल्प सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२६.५४१२, १०४३३). स्थापनाकल्प सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: पूर्व नवमाथी उद्धरी; अंति: वाचक यश गुण गेहरे, गाथा-१५. ३३६५९. समवसरण स्तव सह अवचूरि, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (३१x१४, १-४४४८-७३). समवसरण स्तव, आ. धर्मघोषसूरि , प्रा., पद्य, आदि: थुणिमो केवलित्थं; अंति: कुणउ सुपयत्थं, गाथा-२४. समवसरण स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, आदि: जिनं प्रणम्य वयं; अंति: मोक्षपदस्थंकरोतु. ३३६६०. लघुशांति स्तोत्र सह वृत्ति, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्र.वि. त्रिपाठ., जैदे., (३०.५४१४, २४६६-६७). लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. लघुशांति स्तव-वृत्ति, ग. धर्मप्रमोद, सं., गद्य, आदि: (१)श्रीशांतये श्रीमंत, (२)श्रीमंतंबोधिदं नत्वा; अंति: पदयायादित्यर्थः, ग्रं. २१७. ३३६६१. दिक्षा विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ३, जैदे., (२८.५४१४.५, १५४३९-४२). दीक्षा विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: प्रथम दिक्षा आपवानु; अंति: नोकारवाली गुणावे. ३३६६२. मृतकसाधुपरिष्टापन विधि, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, जैदे., (२८x१४, १२४३५-३८). साधुसाध्वी कालधर्म विधि, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम स्नान करावQ; अंति: पछे श्लोक कहेवो. ३३६६४. प्रश्नोत्तररत्नमालासूत्र, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. २, ले.स्थल. पेथापुर, प्रले. जेठालाल चुनीलाल भावसार, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२८.५४१३, १०४२८). प्रश्नोत्तररत्नमाला, आ. विमलसूरि, सं., पद्य, आदि: प्रणिपत्य जिनवरेंद्र; अंति: कंठगता किं न भूषयति, श्लोक-२९. For Private And Personal use only

Loading...

Page Navigation
1 ... 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612