Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 23
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
१२
www.kobatirth.org
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
९४७२९. (#) चतुःशरण प्रकीर्ण सह टवार्थ, संपूर्ण वि. १८वी, मध्यम, पृ. १० प्र.वि. कुल ग्रं. २५३. अक्षरों की स्याही फैल गयी है,
जैदे., ( २४.५X१०.५, ४X३४-३८).
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चतुःशरण प्रकीर्णक, ग. वीरभद्र, प्रा., पद्म, वि. ११वी, आदि: सावज्जजोगविरई उक्कित; अंति: वंझ कारणं निव्वुई सुहाणं, गाथा-६३.
चतुःशरण प्रकीर्णक-टवार्थ, मु. धनविजय, मा.गु., गद्य, आदि: प्रणिपत्य जिनं गणद्रान्; अति: थोवो बालजणविबोहणट्ठाए.
९४७३० (+) विचार संग्रहणी सह टवार्थ, संपूर्ण, वि. १८३४, चैत्र कृष्ण, ८. शुक्रवार, मध्यम, पृ. १८, ले. स्थल, रामपुर,
प्रले. मु. अनोपचंद ऋषि (गुरु मु. ताराचंद); गुपि. मु. ताराचंद (गुरु मु. सामजी); मु. सामजी (गुरु मु. रामजी ऋषि),
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. हुंडी विचारसंग्रह., संशोधित टिप्पण युक्त विशेष पाठ. कुल ग्रं. १२८१, जैवे. (२५x१०.५, ७४४७-५२). विचार संग्रहणी, आ. रूपसिंह ऋषि, प्रा., पद्य, वि. १६९३, आदि: तियसिंदनरिंदणयें पणमित्तु; अंति: रम्मे
सारंगपुरेयवरनगरे, गाथा-२७३.
विचार संग्रहणी- टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि त्रिदशदेवताना इंद्रना अति नामप्रधान नगरइ विषइ.
९४७३१. (+#) नंदीसूत्र की टीका, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ६०-४४ (१ से ४४ ) = १६, प्र. वि. हुंडी : नंदीटीका., संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., ( २४.५X१०.५, १८x४६-५४).
नंदीसूत्र - टीका, सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. बीच के पत्र हैं., बीच के पाठांश हैं.)
९४७३२. दशवैकालिक दशाध्यवन, १२ व्रत व औपदेशिक सज्झाय, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ५, कुल पे. ३,
प्र. वि. हंडी सिज्झाय. दे. (२४.५X१०.५, १२X४०).
,
"
१. पे. नाम. दशवैकालिक दशाध्ययन सज्झाय, पृ. १अ ५अ, संपूर्ण.
दशवेकालिकसूत्र-सज्झाय, संबद्ध, मु. जैतसी, मा.गु., पद्य, वि. १७१७, आदि धरम मंगल महिमानिलो; अति सदाजी जयतसी जय जयकार, अध्याय- १०.
२. पे. नाम. १२ व्रत सज्झाय, पू. ५अ ५आ, संपूर्ण.
. कीर्तिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: सरसति सामण पाय प्रणमीजै, अंति: कीरतसागर सुभ गुण गाया, गाथा-१३. ३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ५आ, संपूर्ण.
मु.
पदेशिक सज्झाय गर्भावासगर्भित, मु. क्षमाविजय, मा.गु., पद्य, आदि: गरभावासमै चिंतवै ए अति तो जइये मुगति मझार कै, गाथा-१०.
९४७३३. (*) पंचप्रतिक्रमण, छमासीतपचितवन विधि व दूहा, संपूर्ण, वि. १९०६ माघ कृष्ण, ५, बुधवार, मध्यम, पृ. १५, कुल पे. ३, ले. स्थल. पालीताणानगर, प्रले. मु. विनयकीर्ति, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. संशोधित. दे. (२४.५x१०.५, १४X३९). १. पे नाम. पंचप्रतिक्रमण सूत्र विधिसहित, पृ. १अ- १५अ, संपूर्ण.
प्रतिक्रमणविधि संग्रह- खरतरगच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि (१) प्रणम्य श्रीजिनाधिशं, (२) तिहां प्रथम प्रभात अंतिः पोसह सामायिक पारी सांभलै.
२. पे. नाम. छम्मासी तपचिंतन विधि, पृ. १५अ - १५आ, संपूर्ण.
छमासीतपचितवन विधि, संबद्ध, मा.गु., गद्य, आदि श्रीमहावीरसामिना अति धारी काउसम्म पारे
३. पे नाम प्रतिक्रमणविधि दूहा, पृ. १५आ, संपूर्ण.
प्रतिक्रमणविधि संबंधी दूहा, वा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनचंदसुरिंद नितु राज, अंतिः अशुद्ध इह सो सोधियो सुजान, गाथा-३.
९४७३४. (+) पौषधविधि संग्रह व विविध मत विचार, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. २. प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५X१०.५, ११X३१). १. पे नाम, पौषधविधि संग्रह. पू. १२-५आ, संपूर्ण
संबद्ध, प्रा.मा.गु., प+ग, आदि पहिलिइ आठही पडिकमइ तस अति गुरुणो जिन पन्नत्तं तत्तं. २. पे. नाम. विविध मत विचार, पृ. ५आ, संपूर्ण.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 ... 610