Book Title: Kahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Author(s): Muktichandravijay, Munichandravijay
Publisher: Vanki Jain Tirth

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Page 10
________________ • मार्ग. सु. ५ : वांकी तीर्थ में, श्रीमती पन्नाबेन दिनेशभाई रवजी। महेता आयोजित उपधानतप की माला । पो. व. ३ : मुन्द्रा, उपाश्रय-उद्घाटन । पो. व. ११ : मांडवी, सा.श्री अमीवर्षाश्रीजी की वर्धमानतप की १०० ओली का पारणा । • माघ व. ६ : नया अंजार, प्रतिष्ठा एवं रुपेशकुमार, रीटा, रंजन, ममता, शमिष्ठा, मंजुला, तारा, सरला, हंसा, दर्शना, सुनीता आदि १२ की दीक्षा (१ भाई + ११ बहनें) • माघ व. ८ : धमडका, प्रतिष्ठा । माघ सु. ६ : वांकी तीर्थ में, आचार्य-पंन्यास-गणि-पद-प्रदान प्रसंग। माघ सु. १३ : गांधीधाम, प्रतिष्ठा महोत्सव. । माघ व. २ से फा. व. ५ : मनफरा, मातुश्री वेजीबेन गांगजी लधा देढीया परिवार द्वारा निर्मित गुरुमंदिर में पू. दादाश्री जीतविजयजी, पू. कनकसूरिजी तथा पू. देवेन्द्रसूरिजी - ये तीन गुरुमूर्ति की प्रतिष्ठा तथा पू.सा.श्री प्रभंजनाश्रीजी, पू.सा.श्री सौम्यज्योतिश्रीजी, पू.सा.श्री सौम्यकीर्तिश्रीजी के वर्धमानतप की २०० (१०० + १००) एवं १०० ओली का पारणा । • फा. व. ६ से फा. व. प्र. १२ : मातुश्री नांगलबेन मणसी लखधीर कारिया - परिवार आयोजित मनफरा-कटारिया छ'री पालक संघ । • फा. व. द्वि. १२ से चै.सु. ५ : मातुश्री पालइबेन गेलाभाइ गाला परिवार आयोजित लाकडिया से पालीताना छ'री पालक संघ । वांकी के बाद लाकडिया तक कार्यक्रमों की व्यस्तता के कारण पूज्यश्री की वाचनाएं खास कर हो न सकी । हमारे मनफरा गांव में पूज्यश्री पधारे, पर कार्यक्रम इतने खचाखच थे के एक भी वाचना हो न सकी। प्रस्तुत पुस्तक में चंदाविज्झय पयन्ना पर पूज्यश्री ने दी हुइ वाचना संपूर्णरूप से (फा. सु. ५ से श्रा. व. २) प्रकाशित हुइ है। जिसका अवतरण-संपादन पू. गणिश्री मुक्तिचंद्रविजयजी (अभी पंन्यासजी) तथा पू. गणिश्री मुनिचन्द्रविजयजी (अभी पंन्यासजी) द्वारा किया गया है । गुजराती प्रेस कोपी कर देने वाले हमारे ही गांव के रत्न पू.सा. कल्पज्ञाश्रीजी के शिष्या पू.सा.श्री कल्पनंदिताश्रीजी का हम कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करते है । पूज्यश्री की दुर्लभवाणी का सब जिज्ञासुओ अपने अंतःकरण के उमंग से सत्कार करेंगे - ऐसी अपेक्षा है ।

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