Book Title: Jodhpur ke Jain Viro Sambandhi Aetihasik Kavya Author(s): Saubhagyasinh Shekhawat Publisher: Z_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf View full book textPage 7
________________ जोधपुर के जैन वीरों सम्बन्धी ऐतिहासिक काव्य १२१.. गीत सिंघवी भीमराज जोधपुर रो। थूरै खामा दहूँ राहां दिलेस व्है ताबीन थायौ, मही खेहां डमरा मिलायौ आसमान । आंबेर ऊथापवा पटेल दलां साज आयो, जोरावर देख मनां अभायौ जिहांन ॥ १ ॥ महाबाहु ऊमरा सकज्जा मंत्र धारा मिल, राजा लिखे प्रताप अरज्जां अह रीति । अजीतसाह आगैही जैसींघ नै ऊबेलियौ, ज्यू अबही ऊबेल कीजै बिजाई अजीत ॥ २॥ प्रभू चै प्रताप बिजैसाह हिंदवांणा पत्ती, तई बत्ती सुणतां ऊससै सिरताज । कुरम्माण धरती राखिवा तत्ती जैत काज, रैणारूप म दीठौ भेजियौ भीवराज ॥ ३ ॥ बाजे डाक त्रंबाला सालुलै महाबीर बंका, धैधींग आसंका भुई मंडे सूरधीर । इंद रौ पारंभ लीधा कुरम्माण बेल आयौ, बखतेस नंद रौ दीवांण महाबीर ॥ ४ ॥ है ख़रां धमस्सा बागी मचौलां भूगोल हल्ले, गरदां झबोला चौतरफ्फां झल्ले गण । अठी माधवेस प्रथी जैत आण आवाजियौ, नहाबाह . भीम जैण गाजीयौ भीमेण ॥ ५॥ तसां फिरंगाण तेरै हजार धुबक्की तोपां, कड़क्की बीजलां रूद्र तोपां प्रलैकाल । ऊजालवा नवां कोटां सताबां हरौल आगै, रालिया जा अराबां ऊपर बाजराज ॥ ६ ॥ मारवाड़ा वीर चौतरफा मार मार मच्चे, तई जंग जोबा भाण खच्चे सपतास । खागां झींक देवा काज भीम मेलिया जोस खाथै, बांकड़ा गनीमां माथै मेलिया ब्रहास ॥ ७ ॥ बीरहाक जोगणी हजारां खागां धारां बागी, चमू गंजा भिड़ज्जां दुसारां चूर चूर । अथागो भाराथ सू दीवाण विजैसाह वालो, सतारानाथ सूं खाग बागो महासूर ॥८॥ कुंत बाण कबांण बेधके वंका बीर केई, लौटणां परव ज्यू लुटै केई रीठ लेर। धैधींग ऊपटै केई अथां वगो बिरहां धारू, बागा मारू मारहठी कट्टा जैण बेर ॥ ६ ॥ माण मागां गरद्दां कायरां भाण पाण भागा, भीडे रूकां ऊनागां बीरांण बाण मीठ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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