Book Title: Jiva Ajiva
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 160
________________ २० जैन विद्या रत्न (प्रथम वर्ष) प्रथम प्रश्न-पत्र १६८१ समय : ३ घंटा पूर्णांक : १०० १. किन्हीं चार का उत्तर देवें [क] इन्द्रिय-प्राणों के नाम लिखें[ख] छः काय के नाम लिखें[ग] वचन योग के भेदों के नाम लिखें घ) ज्ञान कितने प्रकार के हैं उनके नाम लिखें[1] चार घाति कर्मों के नाम लिखें२. किन्हीं पांच के उत्तर लिखें[i] विपरीत श्रद्धानरूप जीव के परिणाम को क्या कहते हैं? [ii) जीव को अजीव से--जड़ पदार्थ से अलग कौन करता है? [iii] सातवें से बारहवें गुणस्थान का कालमान क्या है? [iv] नाम सत्य किसे कहते हैं-सोदाहरण लिखें। [v] एक साथ एक सांसारिक जीव के कम से कम और अधिक से ___अधिक कितने शरीर हो सकते हैं? [vi] नाम कर्म की तुलना किससे की गई है? ३. किन्हीं चार का अन्तर स्पष्ट कीजिये [क] पर्याप्ति और प्राण। [ख] द्रव्येन्द्रिय व भावेन्द्रिय। [ग] साधारण व प्रत्येक वनस्पति। (घ) ज्ञान और अज्ञान। [] आत्मा और शरीर। ४. किन्हीं तीन के उत्तर लिखें[अ] ‘भाग्य, स्वभाव या पुरुषार्थ कोई भी नियत काल के बिना फल नहीं देते' इसे उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें। (ब) आत्मा चेतन है और कर्म जड़ है । इन दो विरोधी वस्तुओं का सम्बन्ध होना कैसे संभव है? स्पष्ट करें। [स] 'चिरकाल तक भोगा जाने वाला आयुष्य कर्म एक साथ भोग लिया जाता है। दृष्टान्तों द्वारा इसका विवेचन करें। (द) कर्मबन्ध के हेतु कौन-कौन से हैं? परिभाषा सहित नाम लिखें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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