Book Title: Jiva Ajiva
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 164
________________ १५५ १० १५. तिथंच में दंडक स्थान कितने माने गये हैं? ४. किन्हीं तीन के अन्तर को स्पष्ट करें मिथ्यात्व और मिथ्यादृष्टि, संवर और निर्जरा, मिथ्यात्व, बन्ध और पुण्य-पाप, सामायिक चारित्र और छेदोपस्थाप्य चारित्र । ५. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें-- (क) "रत्नप्रभा" के सिवाय छह स्थानों में सिर्फ नारक एकेन्द्रिय जीव पाये जाते हैं। क्या इस सामान्य नियम का अपवाद भी है? स्पष्ट करें । [ख] प्राणातिपात आदि पन्द्रह आश्रव योग आश्रव के भेद हैं तो फिर प्राणातिपात-विरमण आदि पन्द्रह संवर अयोग संवर के भेद न होकर व्रत संवर के भेद क्यों ? ६. किन्हीं दो के उत्तर दें-- २० (क) निमित्त मिलने पर अकाल मृत्यु हो सकती है-इसे उदाहरण देकर स्पष्ट करें। (ख) जीव की पहचान के व्यावहारिक लक्षण कौन-कौन-से हैं? लिखें। (ग) लेश्याओं के लक्षण बताते हुये उदाहरण द्वारा उनके तारतम्य को समझाइये। ७. श्रावक के व्रतों के धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टि से महत्त्व पर प्रकाश डालिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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