Book Title: Jiva Ajiva
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१५. तिथंच में दंडक स्थान कितने माने गये हैं? ४. किन्हीं तीन के अन्तर को स्पष्ट करें
मिथ्यात्व और मिथ्यादृष्टि, संवर और निर्जरा, मिथ्यात्व, बन्ध और
पुण्य-पाप, सामायिक चारित्र और छेदोपस्थाप्य चारित्र । ५. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें-- (क) "रत्नप्रभा" के सिवाय छह स्थानों में सिर्फ नारक एकेन्द्रिय जीव पाये
जाते हैं। क्या इस सामान्य नियम का अपवाद भी है? स्पष्ट करें । [ख] प्राणातिपात आदि पन्द्रह आश्रव योग आश्रव के भेद हैं तो फिर
प्राणातिपात-विरमण आदि पन्द्रह संवर अयोग संवर के भेद न होकर
व्रत संवर के भेद क्यों ? ६. किन्हीं दो के उत्तर दें--
२० (क) निमित्त मिलने पर अकाल मृत्यु हो सकती है-इसे उदाहरण देकर
स्पष्ट करें। (ख) जीव की पहचान के व्यावहारिक लक्षण कौन-कौन-से हैं? लिखें। (ग) लेश्याओं के लक्षण बताते हुये उदाहरण द्वारा उनके तारतम्य को
समझाइये। ७. श्रावक के व्रतों के धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टि से महत्त्व
पर प्रकाश डालिये।
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