Book Title: Jinvani Special issue on Pratikraman November 2006
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

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Page 384
________________ 15, 17 नवम्बर 2006 ३. ४. ५. ६. जिनवाणी छविच्छए- अंगोपांग को छेदा हो । अइभारे- अधिक भार भरा हो। भत्तपाण विच्छेद- भोजन पानी में रुकावट की हो। सहसभक्खाणे - बिना विचारे किसी पर झूठा दोष देना । रहसभक्खाणे - गुप्त बात प्रकट करना । सदारमंतभेए- अपनी स्त्री (या पुरुष) की गुप्त बात प्रकट करना । ७. ८. ९. मोसोवसे- झूठा उपदेश देना । १०. कूडलेहकरणे - झूठा लेख लिखना ११. तेनाहडे - चोर की चुराई वस्तु ली हो। १२. तक्करप्पओगे - चोर को सहायता दी हो। १३. विरुद्धरज्जाइक्कमे - राज्य के विरुद्ध काम किया हो । १४. कूडतुल्लकूडमाणे- खोटा तोल, खोटा माप किया हो। १५. तप्पडिरूवगववहारे- वस्तु में भेल-संभेल (मिलावट) की हो। १६. इत्तरियपरिग्गहियागमणे- अल्पवय वाली परिगृहीता के साथ गमन करना । अल्प समय के लिए रखी 385 हुई के साथ गमन करना । १७. अपरिग्गहियागमणे- परस्त्री या सगाई की हुई के साथ गमन करना । १८. अनंगकीड़ा - काम सेवन योग्य अंगों के सिवाय अन्य अंगों से कुचेष्टा करना । १९. परविवाहकरणे- दूसरों का विवाह करवाना। २०. कामभोग तिव्वाभिलासे - काम-भोगों की प्रबल इच्छा करना । २१. खेतवत्थुप्पमाणाइक्कमे - खुली भूमि (खेत आदि) और घर-दुकान आदि के परिमाण का अतिक्रमण Jain Education International करना । २२. हिरण्ण सुवण्णप्पमाणाइक्कमे - चाँदी सोने के परिमाण का अतिक्रमण करना । २३. धन-धान्यप्पमाणाइक्कमे रोकड़, धान्य- अनाज आदि के परिमाण का अतिक्रमण करना। २४. दुप्पय चउप्पयप्पमाणाइक्कमे नौकर, पशु आदि के परिमाण का अतिक्रमण करना । २५. कुवियप्पमाणाइक्कमे - घर की सारी सामग्री- बर्तन, फर्नीचर आदि की मर्यादा का उल्लंघन किया हो। २६. उड्ढदिसिप्पमाणाइक्कमे ऊँची दिशा का परिमाण उल्लंघन किया हो। २७. अहोदिसिप्पमाणाइक्कमे - नीची दिशा का परिमाण उल्लंघन किया हो । २८. तिरियदिसिप्पमाणाइक्कमे - तिरछी दिशा का परिमाण उल्लंघन किया हो । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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