Book Title: Jinduttasuri ka Jain Dharma evam Sahitya me Yogdan
Author(s): Smitpragnashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 278
________________ युगप्रधान आ. जिनदत्तसूरिजी का जैन धर्म एवं साहित्य में योगदान २६१ राजस्थानी साहित्य नी गौरवपूर्ण परम्परा अगरचंदजी नाहटा ओमप्रकाशन राधाकृष्ण २, अंसारी रोड, दरियागंज, दिल्ली १९७७ कैलाश प्रकाशन, राजपूत राजवंश डा. अवधबिहारीलाल अवस्थी लखनउ १९७० रासो साहित्य और पृथ्वीराज रासो श्री नरोत्तमस्वामी १९६३ रास और रासान्वयी काव्य डा. दशरथ ओझा नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, १९६० रासलीला एक परिचय श्री लक्ष्मीनारायण गर्ग ९१६५ राजस्थान का जैन साहित्य अगरचंदजी नाहटा प्राकृत भारती , जयपुर १९७५ बलभभारती महो. विनयसागरजी खर. जिनरंगसूरि उपाश्रय घीवालो का रास्ता जयपुर १९७५ -वस्तुपाल-प्रबन्ध मुनि जिनविजयजी -हमारी नालापरम्परा श्री कृष्णदास साहित्यकार संसद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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