Book Title: Jinagam Katha Sangraha
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ १० जिन जिन ग्रंथों से यह सामग्री ली गई है उन सब किया है और कई का तत् तत् स्थल में नामग्राह उल्लेख जगह यथास्मृति प्रकरण का भी । यह नहीं हो ग्रंथों में से एक बैठ कर निवेदन सामग्री मापक प्रत्येक ग्रंथ का पूरा परिचय व इतिहास देना अत्यंत आवश्यक है तो भी प्रस्तुत में सका, कारण यह निवेदन लिखते समय उन भी मेरे सामने नहीं है और जिस स्थल में लिखा जा रहा है, वह स्थल भी ऐसे ऐसे कार्यों के लिए पुस्तकमरु जैसा है । फिर भी हमारे संग्रह को सामग्री देनेवाले उन सब ग्रंथों के मूल कर्ता, संपादक व प्रकाशक इन सबों का में कृतज्ञ हूं । खेद है कि असान्निध्य के ही कारण ग्रंथों के प्रकाशनस्थलों का भी निर्देश नहीं कर सका । मेरी मातृभाषा तो गुजराती है तो भी राष्ट्रीय हित व विद्यापीठ का व्यापक लक्ष्य को ध्यान में रख कर संग्रह को हिंदीकाय करने का प्रयत्न किया है । यों तो हिंदी का अधिक परिचय कई वर्षों से है परंतु लिखने का अभ्यास कुछ कम है इस लिए संग्रह की हिंदी गूजराती हिंदी हुई थी । मेरी इच्छा थी कि किसी तराह से भाषा का परिष्कार कराऊं, इतने में मुझ को जैनमुनिओं को पढाने के लिए दिल्ली जाना पड़ा और जब मैं वहां रहा तब इस पुस्तक का मुद्रण शरू हुआ । वहां मेरे सद्भावशाली विनयी विद्यार्थी कवि मुनि अमरचंदजी द्वारा मेरी गुजरातीहिंदी का संस्कार कराया गया । संस्कारक मुनि हिंदी के ज्ञाता, लेखक व कवि भी हैं । भाषा के संस्करण में उनकी असाधारण सहायता ली है इस कारण उनके स्नेहस्मरण को मैं नहीं भूल सकता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 264