Book Title: Jinabhashita 2009 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ कार्यरत NGO स्वयंसेवी संगठन, सामाजिक संस्थाओं, राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों एवं कार्यकत्ताओं से भी अपेक्षा है कि वे अपने प्रभाव से श्री गुलाम नबी आजाद, केन्द्रीय मंत्री-स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, १५० - ए, निर्माण भवन, नई दिल्ली- ११०००३, फोन (०११) २३०६१६६१, २३०६१७५१, फैक्स २३७९२३४१ (आफिस) २३७९२०५२, २३७९२९४४ (नि.) Email-azadg@sansad, nic.in एवं अपने प्रादेशिक स्वास्थ्य मंत्री महोदय से भी सम्पर्क करके इस संशोधन को करवाने हेतु सक्रियतापूर्वक प्रयास करें। आपके द्वारा इस विषय में किए / कराए गए सत्प्रयासों की जानकारी मुझे भी उपलब्ध हो सके, ऐसी आपसे अपेक्षा है। भवदीय श्री वीरेन्द्र इटोरया का आकास्मिक निधन कुण्डलपुर के संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में अनेक वर्षों तक सेवायें देनेवाले वरिष्ठ समाजसेवी श्री वीरेन्द्र इटोरया ( दमोह, म०प्र०) के आकस्मिक निधन पर कमेटी ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि वे जीवन भर कुण्डलपुर क्षेत्र के लिये समर्पित रहे। उनके निधन से कुण्डलपुर कमेटी मार्गदर्शन विहीन हो गयी है। वे विषम परिस्थितियों में भी एक चट्टान की तरह अडिग रहते थे। कुण्डलपुर कमेटी के क्वार्डीनेटर श्री देवेन्द्र सेठ ने कहा कि इटोरया जी के निधन से कमेटी को भारी आघात लगा है। उनमें बड़ी से बड़ी समस्या को हल करने की अद्भुत क्षमता थी। कमेटी के प्रचार प्रभारी सुनील बेजीटेरियन ने कहा कि इटोरया जी तीर्थरक्षा, विकास एवं संरक्षण में एक अहम भूमिका का निर्वहन कर दूसरों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते थे। कमेटी उनके योगदान, को कभी भुला नहीं सकती । दमोह दिगम्बर जैन पंचायत ने स्व० श्री वीरेन्द्र इटोरया को उनके द्वारा समाज के लिए किये गये विशिष्ट कार्यों एवं समर्पण के लिए 'समाजरत्न' की उपाधि मरणोपरांत प्रदान करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है। दमोह शाकाहार उपासना परिसंघ स्व० श्री वीरेन्द्र इटोरया को मरणोपरांत उनके द्वारा जैनधर्म की प्रभावना हेतु किये गये विशिष्ट कार्यों के लिये 'धर्मवीर चक्र' प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित करेगा । सुनील बेजीटेरियन पं० सागरमल जैन, विदिशा का निधन देश के प्रतिष्ठित विद्वान्, अखिल भारतीय शास्त्री परिषद् के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान संरक्षक, जैनसमाज समिति विदिशा के संरक्षक, कवि लेखक, वाणीभूषण पं० सागरमल जी जैन का स्वर्गवास ८४ वर्ष की आयु में दिनांक १५.११.०९ को सीहोर में उनके पुत्र डॉ० पंकज जैन ( विभागाध्यक्ष शास. महिला पोली. महाविद्यालय, सीहोर) के यहाँ हुआ। पंडित जी विगत एक वर्ष से सीहोर में स्वास्थ्यलाभ कर रहे थे। उनकी पार्थिव देह का अन्तिम संस्कार हजारों लोगों की उपस्थिति में विदिशा के वेत्रवती तट पर हुआ। श्रद्धांजलिसभा में विभिन्न वक्ताओं ने उन्हें जिनवाणी का सच्चा सेवक, मुनिभक्त, ओजस्वी वक्ता एवं आचार्य गुरुओं के प्रति निकटता को बताया। पंडितजी अपनी शैली के लिये सदैव विख्यात रहे हैं। वे अद्भुत एवं विलक्षणबुद्धि के धनी थे। इस अवसर पर उनके पुत्र डॉ० पंकज जैन ने जो स्वयं भी एक लेखक एवं समाजसेवी हैं, उनकी स्मृति में तीन लाख रुपये दान की घोषणा की, जिससे समाज सेवा हेतु पं० सागरमल जैन स्मृति न्यास गठित होगा । पण्डित जी के परिजनों से पत्र-व्यवहार का वर्तमान पता है- डॉ० पंकज जैन विभागाध्यक्ष शास. महिला पोलीटेक्निक महाविद्यालय, सीहोर (म.प्र.) पिन - ४६६००१ संतोष जैन 'जिनभाषित' परिवार भी श्री वीरेन्द्र इटोरिया एवं पं० सागरमल जी जैन के निधन से शोकाकुल है। वह भी उनके लिए हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है। प्रो० रतनचन्द्र जैन (सम्पादक) 32 दिसम्बर 2009 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36