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या 'गुलाबी रंग' आदि विभिन्न प्रकार के रंगों से इन्हें बनाने से भ्रम उत्पन्न हो जाता है, इस कारण से शाकाहार में विश्वास रखनेवालों के द्वारा भ्रमवशात् मांसाहारयुक्त खाद्य उत्पादों का सेवन हो जाने से उनकी आस्था एवं भावनाएँ खण्डित हो जाती हैं। उनकी धार्मिक आस्था व परम्परा के नष्ट हो जाने से वे सदा अत्यधिक मानसिक पीड़ा से पीड़ित रहते हैं।
३. तीसरी बात यह है कि उपर्युक्त दोनों ही संशोधनों को अमल में आए दीर्घ कालावधि व्यतीत हो चुकी है। फिर भी खाद्य पदार्थ के उत्पादक आदि के द्वारा अभी तक दोनों ही प्रकार के प्रतीक चिन्हों को गलत रूप में बनाते हुए देखा जा रहा है। यथा- १. किन्हीं खाद्य उत्पाद के पैकेजों या विज्ञापन आदि पर ये दोनों ही प्रतीक चिन्ह निर्दिष्ट रंगों के स्थान पर अन्य रंगों से बनाए जा रहे हैं, २. किन्हीं पैकेजों पर या विज्ञापन आदि पर अधिसूचना में निर्धारित साईज का उल्लघंन देखा जा रहा है, ३. किन्हीं पैकेजों या विज्ञापन आदि के मुख्य प्रदर्शन पैनल पर प्रतीक चिन्ह नहीं बनाकर, उसे पैकेज के पृष्ठभाग या मुख्य एवं पृष्ठभाग के मध्यवर्ती भाग में बनाया जा रहा है, ४. किन्हीं पैकेजों या विज्ञापन आदि पर प्रतीकचिन्ह को विषम पृष्ठभूमि के बिना ही मुद्रित किया जाकर भ्रम पैदा किया जा रहा है, ५. किन्हीं-किन्हीं भारतीय या विदेशी उत्पादक आदि के द्वारा खाद्य पदार्थ के पैकेजों या उनके विज्ञापन आदि पर दोनों ही प्रकार के चिन्ह मुद्रित ही नहीं किये जा रहे हैं। अतएव आपसे यह अपेक्षा है कि इस विषय में स के अधिकारियों आदि को निर्देशित करें कि ऐसे गलत मुद्रणवाले खाद्य पैकेजों एवं उनके विज्ञापन आदि प्रचारसामग्री को जब्त करके उत्पादक आदि पर विधिसम्मत कार्रवाई की जाए।
चूँकि मांसाहार तथा शाकाहार युक्त खाद्य पदार्थों के पैकेजों एवं विज्ञापन आदि पर निर्धारित प्रतीक चिन्हों को बनाया जाना अनिवार्य किया ही जा चुका है, अतएव भारतीय संस्कृति के अनुरूप नागरिकों की धार्मिक आस्था, विश्वास एवं परम्पराओं को सुरक्षित बनाये रखने हेतु उपर्युक्त प्रतीक चिन्हों के साथ में मांसाहार युक्त खाद्य पदार्थ के पैकेज पर 'मांसाहार खाद्य' (Non-Vegetarian Food) तथा शाकाहार युक्त खाद्य पदार्थ के पैकेज पर 'शाकाहार खाद्य' (Vegetarian Food) दोनों ही भाषाओं में एक साथ लिखा जाना भी अनिवार्य किया जाए। क्योंकि दोनों प्रकार के प्रतीक चिन्हों की आकृति एक समान है, मात्र रंग का ही अंतर होता है। देश में अशिक्षित, अल्पशिक्षित वर्ग की संख्या अधिक है। इस कारण से उसके द्वारा अज्ञानता / भ्रमवशात् शाकाहार के स्थान पर मांसाहार खाद्य पदार्थ का उपयोग हो जाता है। किन्तु दोनों ही भाषाओं में स्पष्टतः लिखे जाने पर उन पदार्थों की पहचान हो जाएगी, फलतः गलत सामग्री के सेवन करने से बचा जा सकेगा।
इसलिये उपर्युक्त प्रस्ताव-सुझाव को अमल में लाये जाने के लिये 'खाद्य अपमिश्रण निवारण नियम१९५५' में यथायोग्य संशोधनार्थ विभाग द्वारा समुचित कार्रवाई की / कराई जाए, ताकि उन प्रतीक चिन्हों के साथ दोनों ही भाषाओं में लिखा जाना भी सुनिश्चित किया जा सके।
माननीय सांसद महोदय / विधायक महोदय से अनुरोध है कि आप अपने सदन में एक 'अशासकीय | संकल्प' रूप प्रस्ताव रखकर उसे सर्वसम्मति या बहुमत से पारित कराएँ। इस हेतु सदनों में ऐसा प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए कि- "यह सदन केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (स्वास्थ्य विभाग) से अनुरोध / अपेक्षा करता है कि वह खाद्य पदार्थों के पैकेज पर बनाए जा रहे प्रतीक चिन्हों के साथ में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मांसाहारयुक्त खाद्य पदार्थ के पैकेज एवं विज्ञापन आदि पर 'मांसाहार खाद्य' (Non-Vegetarian Food) तथा शाकाहारयुक्त खाद्य पदार्थ के पैकेज एवं विज्ञापन आदि पर 'शाकाहार खाद्य' (Vegetarian Food) लिखा जाना भी अनिवार्य करे।" इस प्रयोजन के लिये आप केन्द्रीय तथा प्रादेशिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से व्यक्तिगत सम्पर्क या पत्राचार करके इस संबंध में त्वरित गति से सार्थक प्रयास किये जाने की पहल करें। ___शाकाहार, जीवदया, करुणा, मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति की परम्पराओं एवं आदर्शों पर आस्था रखने वाले साधु-सन्तों से अपेक्षा है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे जाने हेतु वे अपने उद्बोधन में इस विषय को जनजागरण कर अधिकतम लोगों को प्रेरणा प्रदान करें। देश में इन उदेश्यों के लिये
-दिसम्बर 2009 जिनभाषित 31
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