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समाचार
अ. भारतवर्षीय श्री दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र । संगठनों को सार्थक नेतृत्व प्रदान करने का प्रयत्न किया और (नारेली) अजमेर की पावन धरा पर
सभी का स्नेह प्राप्त किया। उन्होंने अपने जीवन के विकास नववर्ष 2008, 1 जनवरी को परम पूज्य उपाध्याय में पूज्य क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद वर्णी, माता-पिता, अग्रजश्री 108 उदारसागर जी महाराज पू. ऐलक 105 श्री समर्पणसागर डॉ० रमेशचन्द्र जैन डी०लिट्, डॉ० अशोककुमार जैन जी महाराज पू. क्षु. 105 श्री संयोगसागर जी महाराज ससंघ डी०फिल०, डॉ० नरेन्द्रकुमार जैन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ के प्रति का मंगल प्रवेश श्री दि. जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र पर हुआ। | भक्ति एवं गंगा के स्नेहिल स्पर्श को महत्त्वपूर्ण बताया। अध्यक्षीय
नारेली तीर्थ पर दिनांक 2.1. 2008 को अपने हृदयग्राही उद्बोधन में प्रो० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' ने कहा कि डॉ० प्रवचन में उपाध्यायश्री ने कहा कि पूज्य मुनि श्री सुधासागर सुरेन्द्र जैन 'भारती' ने अपने लगभग चार दशक के जीवन जी द्वारा इस धरा की भूमि के चयन के समय जो द्रव्य, में सात पुस्तकों का लेखन एवं २२ पुस्तकों का संपादन क्षेत्र, काल, भाव की भावना देखी और समझी गई उसी किया है। वर्तमान में वे पत्रकारिता के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका का परिणाम है कि इसका द्रुतगति से विकास एवं ख्याति निभाते हुए 'पार्श्व ज्योति' मासिक, 'जिनभाषित' मासिक एवं
विद्वद्-विमर्श त्रैमासिक जैसी उत्कृष्ट पत्रिकाओं का संपादन उपाध्यायश्री ने बतलाया कि तीर्थक्षेत्रों पर दर्शक गण, कर रहे हैं। वे अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् जैसी गरिमामयी भक्त-गण इसी आस्था और विश्वास एवं श्रद्धा के साथ आते राष्ट्रीय संस्था के सुयोग्य मंत्री हैं। उन्हें अब तक आचार्य हैं कि उस परम पावन स्थान विशेष पर उन्हें आत्मिक शान्ति | विमलसागर हीरक जयंती सम्मान, स्वयंभू पुरस्कार, वाग्भारती मिलेगी, वातावरण में विशुद्ध परिणाम होंगे, इन्हीं पवित्र उद्देश्यों पुरस्कार एवं महाकवि आचार्य ज्ञानसागर सप्तम पुरस्कार से की पूर्ति हितार्थ इस अत्यन्त प्रभावशाली, प्राकृतिक स्थान | सम्मानित किया जा चुका है। वे युवकों के लिए आदर्श पर भव्यात्मा साधना करके अपना कल्याण मार्ग प्रशस्त करेगी। एवं प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अभिनंदन से आज महाविद्यालय ऐसे ही स्थानों पर व्यक्ति के धर्म साधना करने के भाव | स्वयं में अभिनंदित हुआ है। बनते हैं।
विश्वविद्यालय में डॉ० सुरेन्द्र 'भारती' का व्याख्यान अंत में उपाध्यायश्री ने सभी महानुभाव धर्म प्रेमी बन्धुओं
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के श्रमण को आशीर्वाद देते हुए कहा कि ऐसे तीर्थ पर सभी को
विद्या संकाय द्वारा अपने विश्वविद्यालय की स्वर्ण जयंती तन-मन-धन से समर्पण भाव रखते हुए सहयोग देना चाहिए।
व्याख्यान माला के अंतर्गत जैनदर्शन विभाग के तत्त्वावधान भीकमचन्द पाटनी, उपमंत्री,
में वाइस चांसलर प्रो० राम जी मालवीय की अध्यक्षता एवं श्री ज्ञानोदय तीर्थ नारेली
संकायाध्यक्ष प्रो० रमेशकुमार दुबे के मुख्यातिथ्य में सेवासदन डॉ० सुरेन्द्र जैन 'भारती' का अभिनंदन महाविद्यालय, बुरहानपुर के हिन्दी विभाग में पदस्थ वरिष्ठ
अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् के मंत्री डॉ. सुरेन्द्रकुमार | सहायक प्राध्यापक डॉ० सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती' (मंत्रीजैन 'भारती' (वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक-हिन्दी विभाग,
अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद्) का दिनांक १७ दिसम्बर, ०७ सेवासदन महाविद्यालय, बुरहानपुर) का दिनांक २६ दिसम्बर
| को श्रमण विद्या संकाय सभागार में जैनदर्शन की उपादेयता को वाराणसी के गंगा तटवर्ती भदैनी घाट स्थित श्री स्याद्वाद
विषय पर शास्त्रीय व्याख्यान आयोजित किया गया। महाविद्यालय में प्रोफेसर फूलचन्द जैन 'प्रेमी' की अध्यक्षता अध्यक्षीय उद्बोधन में वाइस चांसलर प्रो० राम जी में हार्दिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन समारोह का संचालन
मालवीय ने कहा कि आज डॉ० सुरेन्द्र 'भारती' ने जो धारावाहिक श्री आशीष शास्त्री (शाहगढ़) ने किया। यहाँ उल्लेखनीय व्याख्यान दिया है वह अद्वितीय है तथा हमारी शास्त्रीय है कि डॉ० जैन २७ वर्ष पूर्व इसी महाविद्यालय में रहकर
मान्यताओं को वर्तमान समाज से जोड़नेवाला है। उनके विद्यार्जन कर चुके हैं। वे अपनी निजी यात्रा पर सपरिवार | | प्रस्तुतीकरण से यह सिद्ध हो रहा है। कि वे अपने क्षेत्र वाराणसी पधारे थे। स्याद्वाद महाविद्यालय परिवार ने अपने
के आदर्श शिक्षक हैं। आभार व्याकरण-विभागाध्यक्ष श्री दुबे ही एक होनहार विद्यार्थी को जैनधर्म, दर्शन, समाज-संस्कृति
ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो० फूलचन्द एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में विगत २५ वर्षों में की गई | जैन 'प्रेमी' ने किया। व्याख्यान से पूर्व डॉ० सुरेन्द्र 'भारती' सेवाओं के लिए सम्मानित किया।
का काशी की परम्परा के अनुरूप सम्मान किया गया। इस इस अवसर पर अपने सम्मान के प्रत्यत्तर में डॉ० | अवसर पर डॉ० भारती की सहधर्मिणी श्रीमती इन्द्रा जैन सुरेन्द्र 'भारती' ने बताया कि वाराणसी स्थित स्याद्वाद | | (प्रकाशिका-पार्श्व ज्योति) भी उपस्थित थीं। महाविद्यालय में रहकर उन्होंने सब सहपाठियों द्वारा प्रदत्त
नरेश चन्द्र जैन, पार्श्व ज्योति मंच नेता जी उपाधि की रक्षा करते हुए अपने सभी साथियों एवं |
न्यू इन्दिरा नगर, बुरहानपुर (म.प्र.) 32 फरवरी 2008 जिनभाषित
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