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वर्तमान में कुछ मुनिराज ऐसा कहते हुए दिखते । श्री से मुख्यमंत्री महोदया का दर्शन एवं चर्चा करने हेतु हैं, कि हमको सामायिक करने के लिए कोई निश्चित | आने का समय बताया, तो पूज्य आचार्यश्री ने कहा कि काल नहीं है, हमारे तो सामायिक चारित्र 24 घण्टे रहता | यह तो हमारे सामायिक का काल है। हम सामायिक है। इसलिये हम सुबह, दोपहर एवं सायंकाल सामायिक | कैसे छोड़ सकते हैं? पूज्य आचार्य श्री ने समयानुसार नहीं करते हैं। ऐसे मुनिराजों को पूज्य आचार्य विद्यासागर | अपनी सामायिक प्रारम्भ कर दी। मुख्यमंत्री महोदया जी महाराज का निम्नलिखित प्रसंग अवश्य ध्यान देने | सामायिक के दौरान आईं और दर्शन करके चली गईं। योग्य है
पूज्य आचार्यश्री का उपर्युक्त प्रसंग इस बात का एकबार पूज्य आचार्यश्री के दर्शन एवं चर्चा करने | ज्ञापक है कि परिस्थिति कुछ भी हो, साधु को सामायिक हेतु एक प्रदेश की मुख्यमंत्री आनेवाली थीं। मुख्यमंत्री | के उपर्युक्त कालों में सामायिक करना परम आवश्यक महोदया ने दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक का समय | है। कार्यकर्ताओं को बताया। जब कार्यकर्ताओं ने पूज्य आचार्य
1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी आगरा- 282002 (उ.प्र.)
वेबसाइट प्रारंभ करने की योजना । दिगम्बर जैन गरुकल जबलपुर में अनेकांत ज्ञान मंदिर
इंदौर। श्रीफल पत्रिका परिवार आप सभी को | शोध संस्थान बीना एवं श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ के यह बताते हुए अत्यंत हर्षित है कि हम जैन संस्कृति | संयक्त तत्त्वावधान में आशातीत सफलता के साथ के प्रचार-प्रसार हेतु एक वेबसाइट प्रारंभ कर रहे | सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में पूरे देश से लगभग हैं। इसमें हम समाज के सभी विद्वानों, जैन पत्र- | 75 बाल ब्रह्मचारी भाई सम्मलित हुए, जो अनेक पत्रिकाओं और जैन सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं
सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं, आश्रमों एवं मुनिसंघों के नाम व पते पूर्ण जानकारी के साथ देना चाहते | के मध्य रहते हए स्वपरकल्याण में संलग्न हैं। हैं। कुछ हमारे पास हैं पर हमारा प्रयास ज्यादा से | पज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने ज्यादा जानकारी हमारी वेब-साइट पर देने का है।।
कहा कि- आदहिदं कादव्वं, जं सक्कइ तं परहिदं अतः आपसे सहयोग की अपेक्षा है और निवेदन है
पि कादव्वं। गृहत्यागी को सर्वप्रथम आत्म कल्याण कि आप सभी अपने पते व जानकारी हमें हमारे
करना चाहिए, आत्म कल्याण करते हुए सम्यग्ज्ञान इंदौर कार्यालय के पते पर भेजने का कष्ट करें या | के प्रचार-प्रसार के साथ पर कल्याण में भी निमित्त जानकारी पत्र इंदौर कार्यालय से मंगवाए। जैन पत्र- | अवश्य बनना चाहिए, त्यागी व्रती में दोष निकालना पत्रिकाएँ कृपा कर अपनी एक-एक प्रति हमें भेजे
| बहुत सरल है पर उस स्थान तक पहुँचना कितना ताकि हम भी उन्हें श्रीफल पत्रिका भेज सकें।।
कठिन होता है, अतः कभी भी त्यागी वर्ग की निंदा पता- बा. ब्र. चक्रेश जैन | नहीं करनी चाहिए। आचार्य अकलंक-निकलंक जैसा संपादक, 'श्रीफल पत्रिका'
समर्पण भाव हम सभी के अंदर आ जाये, तो यह 206, तिलक नगर एक्स. इंदौर (म.प्र.)
संवाद सफल माना जावेगा। साधु संतों की अपनी अखिल भारतीय दिगम्बर जैन ब्रह्मचारी सम्मिलन सीमाएँ हैं, जितना बनता है उतना ही कार्य कर रहे सम्पन्न
हैं। पर ब्रह्मचारी वर्ग अपनी भूमिकानुसार बहुत कुछ श्रमण संस्कृति के अनुरागियों को जानकर अत्यंत | कार्य संस्कृति संरक्षण एवं समाजोत्थान के कर सकता प्रसन्नता होगी कि परम पूज्य उपाध्याय श्री 108 | है। सभी प्रतिभाशाली हैं, एकता के सूत्र में बंधकर ज्ञानसागर जी महाराज के पुनीत सान्निध्य में 8-9 | यदि कार्य योजना बनती है तो बहुत कुछ संभवानायें दिसम्बर 2007 को अखिल भारतीय दिगम्बर जैन | बनती हैं। ब्रह्मचारी सम्मेलन 'संवाद' 07 के नाम से श्री वर्णी
ब्र. संदीप 'सरल'
-फरवरी 2008 जिनभाषित 31
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