Book Title: Jinabhashita 2006 09
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 30
________________ प्रश्नकर्ता - तेजा गदिया, रायपुर | गई है, ताकि इसके माध्यम से चातुर्मास के खर्च की व्यवस्था जिज्ञासा - आजकल कुछ साध तथा आर्यिकायें. अपने | हो जाये। पहले तो एक ही कलश की स्थापना होती थी पर चातुर्मास कलश की पूजा एवं नित्य वंदना करने का उपदेश | अब तो 2, 3 या 5 कलशों की स्थापना की भी परम्परा देती हैं। क्या यह उचित है ? दिखाई देने लगी है। वास्तव में, ये चातुर्मास कलश तो चातुर्मास की स्थापना के प्रतीक मात्र ही हैं। इनमें कोई ___ समाधान - साधु या आर्यिका के चातुर्मास स्थापना के पूज्यपना नहीं है। अतः इनको नमस्कार करना, या इनके अवसर पर, चातुर्मास कलश की स्थापना की परम्परा आगम समक्ष अर्घ्य चढ़ाना बिलकुल उचित नहीं है। इसी प्रकार में कहीं भी वर्णित नहीं है। आज से 10-15 वर्ष पूर्व तक, मंगलकलश भी न तो पूजनीय है और न वन्दनीय। इनके चातुर्मास कलशों की स्थापना नहीं होती थी। परन्तु अब समक्ष भी अर्घ्य नहीं चढ़ाना चाहिए। साधुओं आदि के चातुर्मास में, अत्यधिक धनराशि का व्यय 1/205, प्रोफेसर्स कालोनी होने के कारण, यह परम्परा, श्रावकों के द्वारा प्रारंभ कर दी आगरा (उ.प्र.) गज़ल नोरतमल कासलीवाल आपके कद का हमको तो अन्दाज आया है आप तो आसमाँ हो, जमी से सर झुकाते हम हैं। कुंदकुंद की चौखट से आप आये हो समन्तभद्र के गलियारे की खुशबू भी लाये हो। धर्म का गोया बहाव सा आया है। आपके कद का... 2. आप ज्ञान ध्यान की धर्म की जन्नत नूरे मोती और मूंगा माणक हो जिनवाणी के शूरे। मुझमें सजदा के भाव उतर आये हैं। आपके कद का... 3. आपको पूजने का हक तो सभी को है इनायत की नजरिया तो बरसे सभी को है रूप रोशनी में हम तो न्हवन करते चले। काफी काफी है तसल्ली फरिश्तों के कदम की। आपके कद का... 4. द्वादशांग के बादल तो घुमड़कर आये झरना झर झर अमृत का बहता आये। हस्ती तो आपकी-बड़ी निराली है। आपके कद का... चरणरज को उठाकर-सिर पर धर लो यही तीरथ नुमाइश है गणधरों की सी है। शकुन मिलता है हलास आता है। आपके कद का... मदनगंज किशनगढ़ (राज.) 28 सितम्बर 2006 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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