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बुखार का स्वभाव यही है कि वह सर्दी से बढ़ता है और | रोगी को भीगी कमर पट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए। मिट्टी ठंडी होती है। पेट साफ हो जाने के बाद दूसरे समय | भीगी कमर पट्टी को दिन में हर बार दो दो घंटे के अंतराल में बुखार आने के पहले एक बार भीगी चादर पैक Wet | से बदलना चाहिए और रात में उसे रात भर के लिए लगा Sheet pack] का इस्तेमाल करना चाहिए। इस चादर लपेट | देना चाहिए। मलेरिया बुखार जब तक अच्छी तरह से छूट न में रोगी के शरीर को दोनों ओर से अच्छे से कम्बल पैक | जाए, तब तक रोगी को पूर्ण स्नान कभी नहीं कराना चाहिए। करना चाहिए और पैर के तलवे के नीचे गरम पानी की | इस समय दिन में तीन बार उसके सिर पर ठण्डे पानी से बोतल को रखना चाहिए। इससे पसीने के साथ रोगी के | धोकर उसका बाकी शरीर भीगे गमछे से पौंछ देना ही शरीर से बहुत सा विष बाहर निकल जाता है। यह जब भींगी | उचित है। इससे बुखार के लौटने की आशंका नहीं रहती है। चादर पैक Wet Sheet pack उपचार दिया जाए तो कमरे | इन्हीं उपचारों के दौरान यदि संभव हो, तो रोगी को एक धूप को बंद रखा जाए हवा आदि न आने पावें।
स्नान देकर ठंडी मालिश भी कर देनी चाहिए। इससे शरीर इसी प्रकार दूसरे दिन स्टीम बाथ देकर उसके बाद में ऊर्जा बढ़ती है। मलेरिया के रोगी को यदि ठंडी मालिश दी जा सकती है। घर्षण स्नान बुखार के लिए | उपचार दिया जावे, तो दो दिन में मलेरिया दूर हो जाता है रामबाण है। लेकिन यह हमेशा याद रखना चाहिए कि बुखार | और रोगी स्वस्थ हो जाता है। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा में आरंभ होने के पहले कम से कम दो घंटे पहले यह घर्षण | खोई हुई शक्ति को प्राप्त करने के लिए 6-7 दिन तक स्नान समाप्त हो जाना चाहिए। यदि घर्षण स्नान संभव न हो | लगातार हल्का फुल्का उपचार चिकित्सक के निर्देशन में तो, तब उसे तौलिया स्नान कराना ही ठीक है। इसके बाद | लेते रहना चाहिए। यह सभी उपचार उस व्यक्ति को घर पर गले तक कम्बल से ढक कर रोगी को सुला देना चाहिए। | करना चाहिए जिसे प्राकृतिक चिकित्सा की जानकारी हो दूसरे दिन फिर बुखार चढ़ने से पूर्व पहले दिन के समान ही | और उसने पहले कहीं प्राकृतिक चिकित्सा का उपचार चिकित्सा देनी चाहिए। इसी के साथ बुखार, कंपकपी आने | लिया हो। नहीं तो 'नीम हकीम खतरे जान' वाली कहावत : से पहले पैर स्नान देकर रोगी को पसीना आना देना चाहिए। | चरितार्थ होती है। जब पैर स्नान (Hot foot Bath) दिया जाए तो रोगी को गर्म | प्राकृतिक एवं हर्बल औषधि पानी में नीबू का रस दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से शरीर 1-7/8 तुलसी के पत्ते का रस या काढ़ा दिन में से जल्दी पसीना छूटने लगता है। साधारण तौर पर 20 मिनट | तीन बार काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर एक एक चम्मच तक ही गर्म पाढ़ स्नान दिया जाना चाहिए। रोगी को उपचार | पिलाने से मलेरिया बुखार दूर भाग जाता है। के बाद ऐसे कपड़े पहनाना चाहिए जिससे पसीना निकलने 2 - या मलेरिया बुखार में नीबू को काटकर नमक, में रुकावट न हो। उपचार के बाद हमेशा रोगी को कम्बल से | काली मिर्च और जीरा डालकर गरम करके रोगी को चुसाएँ। अच्छे से ढक देना चाहिए और गरम पानी की बोतल पैरों के | 3 - या फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में चार गुना नीचे रखना चाहिए। पीने के लिए गर्म पानी देना चाहिए। | पीसी हुई गुड़ या चीनी अच्छी तरह मिला लें। दो ग्राम की यदि ठंडा पानी दिया जावे, या रोगी को पूरी तरह से न ढंका | मात्रा गुनगुने पानी से दो-दो घंटे बाद तीन बार लें। तीन जावे तो उसे जाड़ा या कँपकपी लौट सकती है।
खुराकों के लेने से ही मलेरिया नहीं रहेगा। लेकिन गर्भवती अगर खाना खाने के बाद ही रोगी को बखार आ | स्त्री को यह औषधी कदापि नहीं दे। जाता है तब वह बुखार साधारण तौर से अधिक समय | 4 - या कुटकी के बारीक चूर्ण आधा ग्राम बताशे में टिकने वाला बुखार होता है। इसलिए इस हालत में गुनगुना | भरकर ताजा पानी से बुखार चढ़ने से पहले रोगी को खिला पानी पीकर उल्टी कर देना हितकर होता है। लेकिन जिसे | दे। मलेरिया, सर्दी लगकर चढ़ने वाला बुखार उतर जायेगा। कुंजल का अभ्यास हो और आत्मविश्वास हो वहीं इस | बुखार की अवस्था में गर्म पानी से दिन में दो तीन बार क्रिया को आसानी से कर सकता है। बुखार जब न रहे तब | खिलाने से बुखार पसीना आकर उतर जाता है। सुबह के समय रोगी के पेडू पर और शाम को लीवन पर | 5 - या सादा खाने का नमक पिसा हुआ लेकर तवे गरम ठंडा पटटी का उपचार देना चाहिए। साथ ही एक बार | पर धीमी आँच पर इतना सेकें कि उसका रंग काला भूरा नीबू रस का एनिमा देना चाहिए। इसके अलावा रात दिन | याने कि काफी जैसा हो जाए। ठण्डा होने पर शीशी में भर
30 सितम्बर 2006 जिनभाषित -
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