Book Title: Jinabhashita 2004 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 21
________________ सुन नहीं पाते हैं। तनावमुक्त हों, स्थिर-चित्त हों, | 6. वक्ता के मन्तव्य को समझें। विस्तृत वर्णन में न तो ठीक से सुना जा सकता है। उलझें। वक्ता गोल-मोल बात कर सकता है। प्रश्न: अच्छे श्रोता कैसे बनें? पुनरावृत्ति करेगा, उसमें न उलझें। उत्तर : 1. कम बोलने की आदत डालें। बातचीत कम 7. सुनते समय पूर्वाग्रहों से मुक्त रहें। करें। उपयोग 2. सुनते समय तनावमुक्त रहें । शिथिल, शांत एवं | 1. सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है। हमारे कानों की जागरूक रहें। बनावट ऐसी है कि सभी दिशाओं से सुन सकते 3. दो शब्दों के बीच बोलने का मन्तव्य समझें।। सपने न देखें। एकाग्रचित्त होकर, ध्यानपूर्वक, हमारी श्रवणेन्द्रिय सदैव खुली रहती है। सावधान होकर सुनें । हमारी आँखें तथा रसना इंद्री बंद हो सकती है 4. वक्ता से बीच में प्रश्र न करें, टोकें नहीं या परन्तु कान, नाक तथा त्वचा सदा खुले रहते हैं, सुझाव न दें। कार्य करते रहते हैं। 5. सुनते समय निष्कर्ष न निकालें। मतलब तथा अतः एकाग्रता से सुनें, अच्छा सुनें। अर्थ न निकालें, निर्णय न करें। ए- 12, शाहपुरा, भोपाल | 2. गरीबों के लिए आसान हृदय-शल्य चिकित्सा महाराष्ट्र के नगर जिले में सामाजिक कार्य में अग्रसर 'जैन सोशल फेडरेशन' द्वारा संचालित 'आनंदऋषि अस्पताल' ने नगर जिले में पहली बार स्वतंत्र रूप से हृदय शल्य चिकित्सा एवं हृदय अतिदक्षता विभाग खोला है। इस अस्पताल में बहुत ही कम खर्च में उच्च स्तर की वैद्यकीय सेवा उपलब्ध है। जैन सोशल फेडरेशन द्वारा संचालित आनंदऋषि अस्पताल एवं हार्ट-सर्जरी कक्ष 'सेंटर' नामक संस्था द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हृदय-शल्य क्रिया विभाग की शुरूआत 22 अप्रैल, 2004 को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर की गई। इसके लिए पुणे के प्रसिद्ध हृदयरोग सर्जन डॉ.अन्वय मुळे एवं डॉ. आशुतोष हार्डीकर की सेवा मिल रही है । मात्र दो महीने में ही पच्चीस हृदय रोगियों की हृदय-शल्यचिकित्सा सफलतापूर्वक की जा चुकी है। इन शल्य चिकित्साओं में छोटे बच्चों के हृदय में हुए छिद्र को बंद करना, वॉल रिप्लेसमेंट, बायपास सर्जरी आदि शामिल है। आनंदऋषि अस्पताल का हृदय-शल्य चिकित्सा विभाग अत्याधनिक उपकरणों से. हार्ट लंग मशीन, बलन पंप पेसमेकर, सेंट्रल मॉनिटरिंग वेण्टिलेटर्स से सुसज्ज है। सभी के सभी हृदय-रोगी मात्र छह दिन में ही उपचार के बाद ठीक होकर घर वापस गये। इस विभाग में प्रमुख डाक्टरों के साथ कुल 34 स्टॉफ कार्यरत है। कम पैसे में भी इलाज के दौरान चिकित्सा की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं बरती जाती। सी.टी. स्कॅन, होल बॉडी स्कॅन, एक्सरे, सोनोग्राफी, स्ट्रेस टेस्ट, कलर डॉप्लर, आधुनिक पैथालॉजी लैब, सुसज्जित वातानुकूलित चार आपरेशन थिएटर्स, अपघात विभाग, अतिदक्षता विभाग, सेंट्रल कॉड्रियाक मॉनिटर्स वेंटिलेट्स, डायलेसिस एवं अन्य अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित यह अस्पताल अपने कुशल डॉक्टरों एवं अनुभवी सेवाभावी कर्मचारियों के सहयोग से रोगियों के विश्वास को जीतता है। इस अस्पताल में गरीब एवं गरजमंद हृदय रोगियों की शल्य-चिकित्सा कम खर्च में मात्र पचास हजार रुपये में, न नफा, न नुकसान। इस तत्त्व के आधार पर की जाती है। आज तक ऐसे 25 गरीब हृदय रोगियों की शल्य-चिकित्सा की जा चुकी है। जबकि प्रत्येक के लिए कम से कम 90 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च होता है। यह अस्पताल प्रत्येक हृदय-शल्यचिकित्सा के लिए 40 हजार रुपये का घाटा सामाजिक प्रतिबद्धता के नाते सहन करता है। हृदय शल्य-चिकित्सा के लिए अधिक जानकारी के लिए इस विभाग के समन्वयक डॉ.वसंत कटारिया से 9822083640 इस मोबाईल फोन पर संपर्क स्थापित किया जा सकता 'जैन बोधक, नवम्बर 2004' दिसंबर 2004 जिनभाषित 19 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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