________________
समाचार
भुवनेश्वर के हिंदू मंदिरों में जैन चिह्न उदयगिरि - खंडगिरि की प्राचीन गुफाओं पर हो रहे अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए अब जागरूकता बढ़ रही है यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। आज से करीबन ४ वर्ष पूर्व मैंने अपने परिवार सहित इस सिद्धक्षेत्र की यात्रा की थी। उस समय इस क्षेत्र की स्थिति का अवलोकन करने के पश्चात् मैंने एक लेख 'क्या है प्राचीन उदयगिरि- खंडगिरि गुफाओं का भविष्य ?' इस शीर्षक से लिखा था । यह लेख महासमिति पत्रिका, अर्हत् वचन, प्राचीन तीर्थ जीर्णोद्धार पत्रिका में तथा अन्य पत्र/पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ ।
उदयगिरि- खंडगिरि गुफाओं की यात्रा के दौरान मैंने भुवनेश्वर के कुछ मुख्य हिंदु मंदिरों को भी देखा। इन्हीं में से एक विशाल मंदिर समूह है 'लिंगराज मंदिर'। इस मंदिर का बारीकी से निरीक्षण करने के पश्चात् जब शिखर की ओर ध्यान गया तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा। मुख्य मंदिर के शिखर पर एक जिन प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में स्थित है। इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग २ फुट होगी।
ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इस प्रतिमा के ऊपर अलग से २ और हाथ (जिनक रंग भी अलग है) लगाने की कोशिश की गई है। ऐसा क्यों किया गया, कब किया गया- यह सोचने की बात है। इसी प्रकार भुवनेश्वर के ही एक अन्य 'गौरी मंदिर' की बाहरी दीवारों पर कुछ छोटी-छोटी जिन प्रतिमाएँ (करीबन २.५ इंच की ) उत्कीर्ण हैं ।
हम जानते हैं कि सांप्रदायिक विद्वेष के चलते कई जैन मंदिरों को हिंदू मंदिरों में परिवर्तित कर दिया गया था। चूंकि
Jain Education International
उड़ीसा प्राचीन कलिंग का वह स्थान है जहाँ किसी समय जैन सम्राट महामेघवाहन खारवेल का साम्राज्य था, संभव है कि ये मंदिर भी कभी जैन मंदिर रहे हों।
उदयगिरि - खंडगिरि की गुफाओं की स्थिति को देखते हुए तथा भुवनेश्वर के मंदिरों के संबंध में मेरे निम्न सुझाव हैं
१. भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर, गौरी मंदिर तथा अन्य मंदिरों पर शोध की आवश्यकता है जिससे इन मंदिरों का प्राचीन इतिहास पता लगे तथा यहाँ अन्य जैन चिह्न खोजे जा सकें।
२. उदयगिरि - खंडगिरि की गुफाओं के प्रति समाज में जागरूकता न होने का कारण इस प्राचीन तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिद्ध क्षेत्र के विषय में जानकारी का न होना है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम, विचार गोष्ठियाँ तथा सम्मेलन सम्राट खारवेल तथा उदयगिरि-खंडगिरि की गुफाओं के विषय पर होने चाहिए।
३. सामाजिक पत्र / पत्रिकाओं में इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति अधिकाधिक प्रसारित होनी चाहिए।
४. इस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए लोगों को प्रेरित करें। ५. इस स्थान के प्राचीन वैभव को देखते हुए, यह कोशिश की जानी चाहिए कि यह स्थान " World Heritage Sites" में आ जाए। ऐसा होने पर इस क्षेत्र की सुरक्षा तथा संवर्द्धन भली-भांति हो सकेगा।
आशा है प्रबुद्धजन नेतृत्ववर्ग तथा शोधार्थी उपर्युक्त तथ्यों ध्यान में लाकर समुचित कार्यवाही करेंगे।
गौरव छाबड़ा
जयपुर (राजस्थान )
कर्नाटक राज्य में श्वेताम्बर जैनों को भी
अल्पसंख्यक मान्यता
देश के विभिन्न राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तरांचल में समग्र जैन समाज को धार्मिक अल्पसंख्यक मान्यता प्राप्त हो चुकी है। लेकिन कर्नाटक राज्य में केवल दिगम्बर जैन समाज को ही अल्पसंख्यक मान्यता प्राप्त थी। महासभा कर्नाटक में समग्र जैन समाज को अल्पसंख्यक मान्यता प्रदान करने के लिए प्रभावी प्रयास कर रही थी। कर्नाटक सरकार ने महासभा के प्रस्ताव को मानकर कर्नाटक राज्य में श्वेताम्बर आम्नाय को भी धार्मिक अल्पसंख्यक मान्यता देने की अधिसूचना जारी कर दी है। कर्नाटक एवं देश के समग्र श्वेताम्बर समाज ने इसका हार्दिक स्वागत किया है। अतः सात राज्यों में समग्र जैन समाज अल्पसंख्यक घोषित हो चुका है।
अन्य राज्यों में भी समग्र जैन समाज को अल्पसंख्यक
For Private & Personal Use Only
जनवरी 2003 जिनभाषित
29
www.jainelibrary.org