Book Title: Jinabhashita 2003 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 33
________________ सौरभ का राष्ट्रीय जैन युवा प्रतिभा सम्मान जयपुर में मैत्री समूह के तत्त्वावधान में सम्पन्न राष्ट्रीय जैन युवा प्रतिभा सम्मान समारोह में छतरपुर के होनहार छात्र सौरभ जैन को आई.आई.टी. में चयनित जैन विद्यार्थियों की प्रावीण्य सूची में देश में पहला स्थान पाने पर विशेष सिल्वर ट्रॉफी एवं आई.आई.टी. में चुने जाने पर जनरल ट्रॉफी के दोहरे सम्मान से नवाजा गया है। पूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी एवं मुनिश्री भव्यसागर जी के सान्निध्य तथा प्रख्यात उद्योगपति व समाजसेविका श्रीमती सरयू दफ्तरी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न इस अद्वितीय समारोह में देश के विभिन्न राज्यों की विशिष्ट शैक्षणिक उपलब्धियों वाली करीब 350 प्रतिभायें सम्मानित हुई, जिनमें छतरपुर जिले की 15 प्रतिभायें भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इस गरिमापूर्ण अनूठे कार्यक्रम का सफल संचालन छतरपुर के श्री राजेश बड़कुल, डॉ. के श्री राजेश बड़कुल, डॉ. सुमति प्रकाश जैन एवं जयपुर की टी.वी. उद्घोषिका श्रीमती मोना सोगानी ने किया न्यायालय की नगरी में न्यायाधीश सम्मेलन तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली पर एक नवीन स्वर्णिम इतिहास की संरचना हो उठी, जब 3 नबम्बर 2002 को पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माता जी (ससंघ) के मंगल सान्निध्य में न्यायालय नगरी प्रयाग में भव्य न्यायाधीश सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों सहित प्रशासनिक विभाग, सरकारी स्वास्थ्य विभाग, शैक्षणिक क्षेत्र इत्यादि के विशिष्ट महानुभावों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। विद्यासागर जैन पाठशालाओं की पहली वर्षगाँठ छतरपुर। नगर के विभिन्न जैन मंदिरों में पूज्य मुनिश्री प्रशांत सागर जी एवं मुनिश्री निवेंग सागर जी की प्रेरणा से गतवर्ष प्रारंभ की गई आचार्य श्री विद्यासागर दिगम्बर जैन पाठशालाओं की पहली वर्षगाँठ विविध धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए हर्षोल्लास से मनाई गई। इन तीनों पाठशालाओं में लगभग ढाई सौ बच्चों को धर्म का वैज्ञानिक तथा तर्कसंगत स्वरूप समझाते हुए संस्कारवान बनाने की शिक्षा समाज की ही सुशिक्षित बहिनें निःस्वार्थ भाव से निरंतर दे रही हैं। कु. श्वेता जैन, कु. रजनी जैन शिक्षिका विद्यासागर दि. जैन पाठशाला, छतरपुर (म.प्र.) नगर में वर्षायोग : एक अच्छा अनुभव इस वर्ष हमारे नगर में पूज्य मुनि श्री समतासागर जी, प्रमाणसागर जी एवं ऐलक निश्चयसागर जी का वर्षायोग सम्पन्न हुआ, जिसने आज से सत्ताइस वर्ष पूर्व (सन् 1975) में हुये उनके दीक्षा गुरु पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के वर्षायोग की स्मृतियों को ताजा कर दिया। जैन-जैनेतर नागरिकों को इस वर्षायोग ने बहुत प्रभावित किया। चौराहों पर लोगों को यह चर्चा करते हुए Jain Education International सुना गया कि इस वर्ष अपने नगर में अच्छे जैन साधु आए हैं। चूँकि इन साधुओं का अपना कोई प्रोजेक्ट' नहीं था. इसलिए धर्मप्रेमियों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। टोना-टोटका से भी इनका कोई वास्ता नहीं था और न ये किसी को कोई मंत्र-तंत्र ही देते थे प्रबुद्ध वर्ग को इनकी इस सच्ची साधुता ने अत्यन्त प्रभावित किया। धर्मसभाओं में तीन महीनों तक प्रतिदिन श्रोताओं की अच्छी उपस्थिति होती रही। इनके प्रवचनों में आत्मानुशासन, नैतिक मूल्यों के प्रति निष्ठा एवं सदाचार पर अधिक जोर रहता था, एक विशेष बात यह भी रही कि इनकी ओर से चमक-दमक से परिपूर्ण आकर्षक पण्डाल के लिए भी कोई आग्रह नहीं था । सभायें भारत विख्यात श्री महावीर जिनालय ( स्व. सेठ श्री छदामीलाल जैन ट्रस्ट) के परिक्रमामार्ग-स्थित चबूतरों पर उन्मुक्त आकाशीय वितान (प्रकृति की गोद) में चलती रहीं। कोई भी अपव्यय नहीं हुआ। * नरेन्द्रप्रकाश जैन (प्राचार्य ) जैनधर्म संबंधी डाक टिकटों एवं सिक्कों के संग्रह प्रदर्शित डाक टिकिट संग्रहकर्ताओं की अग्रणी संस्था सेंट्रल इण्डिया फिलाटेलिक सोसायटी तथा अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवी संस्था लायंस क्लब सतना के संयुक्त तत्त्वाधान में सतना में विगत 17 नवम्बर, 2002 को विभिन्न संग्रहों की एक प्रदर्शनी "सिटपेक्स-2002 " का आयोजन किया गया। भगवान् महावीर के छब्बीस सौवें जन्म कल्याणक वर्ष के उपलक्ष्य में इस प्रदर्शनी में भगवान् महावीर एवं जैनधर्मसंबंधी डाक टिकटों लिफाफों, मोहरों और सिक्कों का सुधीर जैन का विस्तृत संग्रह विशेष रूप से प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया। प्रारंभ में लायंस क्लब सतना के अध्यक्ष एन.के. जैन ने स्वागत भाषण दिया तथा अंत में सेंट्रल इण्डिया फिलाटेलिक सोसायटी के सचिव सुधीर जैन ने आभार प्रदर्शित करते हुये श्री सुरेश जैन को एक स्मृति चिह्न तथा नेपाल सरकार द्वारा जारी 250 रुपये मूल्य का चाँदी का महावीर भगवान् का सिक्का भेंट किया। सतना के वरिष्ठ डाक टिकट संग्रहकर्ता सुधीर जैन ने जैन धर्म के सिद्धान्त, तीर्थंकर, जैन संत, जैन महापुरुषों, जैन तीर्थों, मंदिरों और मूर्तियों, जैन आयोजनों, शाकाहार आदि पर सैकड़ों डाक टिकटें लिफाफे आदि प्रदर्शित किये। उनके द्वारा प्रदर्शित जैन धर्म संबंधी सिक्का संग्रह ने भगवान् महावीर पर नेपाल सरकार तथा भारत सरकार द्वारा जारी सिक्के, पंजाब सरकार द्वारा जारी सोने व चाँदी के सिक्के, ईस्ट इण्डिया कम्पनी के नाम से जारी तथाकथित टोकन, विभिन्न जैन संतों, तीर्थों और पंच कल्याणक आदि समारोहों पर जारी चाँदी के स्मारक सिक्के आदि प्रदर्शित थे। सुधीर जैन, युनिवर्सल केबिल्स लिमिटेड सतना (म.प्र.) 485005 - जनवरी 2003 जिनभाषित 31 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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