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गया।
शुरू किया। कुछ लेखों के कागज व्यवस्थित किये। इस काम में मुझे | पद्मश्री पंडिता समतिबाई शहा का 90वाँ सुबह के सात बज गये, पर काम पूरा न हुआ। पंडित जी अपने आवश्यक कार्य पूर्ण कर मंदिर जी चले गये। प्रात: 10 बजे पंडित
जयन्ती महोत्सव सम्पन्न जी प्रवचन उपरांत जब लौटे तो मैं भी पूजा उपरांत पुनः टेप चालू दि. 6.1.2002 को मंगलाचरण रूप में पं. महावीर शास्त्री कर फिर अपने काम में लग गया। पंडित जी भोजन कर लेट गये | के तत्त्वावधान में भक्तामर विधान सम्पन्न हुआ। और मैं भोजन करने गया। आहार उपरांत फिर टेप चालू किया और | दि. 9 जनवरी 2002 को 90वाँ जयन्ती महोत्सव मनाया अपना बैग लगाकर लेट गया। अब समय पंडित जी के सामायिक | गया। प्रमुख अतिथि के रूप में वैधानिक विकास मंडल के अध्यक्ष का था। वे 11.30 बजे से 12.30 तक सामायिक करते थे। | मा.ना. श्री मधुकरराव चव्हाण उपस्थित थे। सामायिक उपरांत पंडित जी अपनी व्हीलचेयर चलाते हुये मेरे कमरे
। इसी अवसर पर 'प्रबोधनांजली' पुस्तिका का विमोचन हुआ। तक आये, टेप चल रहा था, मुझे हल्की सी नींद सी आ रही थी,
पुस्तिका के लेखक श्री लालचंद हरिश्चंद्र मानवत का सत्कार किया पर पंडित जी की आवाज सुनकर घबड़ा कर उठा और नीची गर्दन कर खड़ा हो गया। पंडित जी के शब्द थे- त्रिलोक जी यहाँ और भी
___ इस पुस्तिका में मराठी और हिन्दी भाषा में शताधिक ऐसे प्रेरक लोग रहते हैं, कुछ ख्याल है? इतना कह कर वह शान्त हो गये।
प्रसंगों को संकलित किया गया है, जो मानव के हृदय को कुछ मैंने उन्हें व्हीलचेयर पर उनके कक्ष तक छोड़ दिया। पंडित जी के
संस्कारित कर सकेंगे। शब्दांकन में ललित, सुसंवाद किया है। चरण छुए और आत्मग्लानि से भरा मैं सामायिक करने बैठ गया। सामायिक कर एक बजे उठा और पंडित जी को प्रणाम कर उनसे
अतिथि भाषण में मा.ना. श्री मधुकरराव चव्हाण ने कहा कि डिण्डोरी जाने की आज्ञा माँगी। वे प्रसन्न भाव से बोले अच्छा भैया!
पद्मश्री पंडिता सुमतिबाई शहा का कार्य सामाजिक, धार्मिक और जाओ, खूब धर्म की प्रभावना करो। मैं आश्चर्यचकित था। अभी कुछ
| शैक्षणिक क्षेत्र में महान है। इसका ही फल है कि श्राविकाश्रम सोलापुर ही मिनिट पहले पंडित जी का जो रूप था, उसका एक अंश भी चेहरे
में अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं। हमें उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है। पर नहीं था और न ही वचनों में। वे बिलकुल सहज थे मानों कह
उनका स्टेच्यू संस्था में विराजमान होने के लिये मेरा पूरा सहयोग रहे हों सुख से जाओ, सुरक्षित आओ। आज 'अच्छा भैया! आ गये,'
रहेगा। स्व. माताश्री के सेवा से ऋणमुक्त होने का अच्छा सुअवसर कह कर मुस्कराने वाला चेहरा चिर निंद्रा में सो गया है।
मुझे प्राप्त होने का गौरव है।' पंडित जी साब से मेरा प्रथम साक्षात्कार अतिशय क्षेत्र थूवोन पू. माताजी के जयंती उपलक्ष्य में संस्था की ओर से हृदयरोग जी में हुआ था। उन्हें लेकर कुछ ब्रह्मचारी भाई पाण्डाल से सीढ़ी से | निदान शिविर तथा रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। उतर रहे थे। अचानक मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और पंडित जी श्राविका संस्थानगर के विभागीय 5/6 संकुलों का स्नेह सम्मेलन के हाथ में हृदय धड़कता सा पाया। हम सभी उन्हें आचार्यश्री के कक्ष | धूमधाम से मनाने से सप्ताह में स्व. सुमतीबाई जी के परोक्ष आशीर्वाद तक ले गये। शाम को आचार्य भक्ति के बाद गुरुदेव से जबलपुर | से आनंदोत्सव जैसा वातावरण बना हुआ था। गुरुकुल जाने के निर्देश मिले। यहाँ आकर स्वास्थ्य की अनुकूलता
ब्र. विद्युल्लता शहा
संचालिका, श्राविका संस्थानगर, सोलापूर न होने के कारण ठीक से अध्ययन नहीं कर पाया और न ही गुरुकुल के नियमों का भली प्रकार पालन कर पाया। जब मैं अपनी त्रुटियों 8वां प्रतिभा सम्मान समारोह पर विचार करता हूँ तो मुझे लगता है कि मेरे जैसा छात्र एक दिन भी यहाँ रहने लायक नहीं था। लेकिन पंडित जी की अनुभवी पारखी वर्ष 2001 की प्राथमिक शालेय स्तर से लेकर महाविद्यालयीन आँखों ने मुझे कभी उपेक्षित नहीं किया। हमेशा सभाओं में मुझे स्तर तक की परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित कर बुलवाते और भरपूर प्रोत्साहन देते रहे। अन्त में यही भावना है कि उत्तीर्ण करने वाले 60 छात्र/छात्राओं को पंचायत सभा के आप जैसी सरलता, कर्तव्यनिष्ठा के आलोक में, माँ जिनवाणी की पदाधिकारियों एवं सदस्यों के अलावा दानदाताओं द्वारा मैडल, प्रशंसा आराधना करते हुये परमपूज्य गुरुदेव विद्यासागर जी की चरण छाँव | पत्र और पुस्तकें प्रदान की गईं। इसके साथ ही साथ खो-खो के खेल में आधिव्याधि-उपाधि से रहित समाधि को प्राप्त करूँ।
में प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित करने पर कु. सोनल श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल जैन एवं कु. अंजना जैन, शहर जिला युवक कांग्रेस में उपाध्यक्ष के
जबलपुर पद पर मनोनीत राहुल जैन एवं युवक कांग्रेस के महामंत्री सुबोध जैन Om
एवं म.प्र. क्रिकेट टीम में सबसे कम आयु में कप्तान बनने पर मयंक जैन को भी सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में वर्ष 2001 में दयोदय तीर्थ तिलवाराघाट में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी के चातुर्मास को सानंद सम्पन्न कराने के लिये उक्त संस्था के 23 ट्रस्टियों को भी सम्मानित किया गया।
कमल कुमार, महामंत्री 18 फरवरी 2002 जिनभाषित
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