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"कबूतर और नवकार "
उपप्रवर्तनी श्री आज्ञावतीजी म. की सुशिष्या साध्वी श्री अर्चनाश्रीजी
(१)
एक बार दो कबूतर के छोटे छोटे बच्चे उपरी मंजिलसे नीचे गीरे और गिरते ही जखमी हुए। एसे तड़पने लगे, मानो अभी इनके प्राण नष्ट होंगे पर जब मैंने उन्हें महामन्त्र नवकार की शरण दी, मानो उनमें नया जीवन आ गया और कुछ समय बाद दोनों बच्चे बिलकुल स्वस्थ हो गये। फिर उन्हें भी मुझसे इतना लगाव हो गया कि जहाँ भी मैं जाती वे मेरे पीछे ही आते। सचमूच महामन्त्र नवकार का प्रभाव अचित्य हो है ।
(२)
एक बार सन १९७२ में एक जैन भाई ने अपने घर पर अखंड जाप के उपलक्ष में हमारे गुरूनीजी
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के
क्रान्तिकारी युगप्रधान जन श्वेतांबर तेरापथी अणुव्रत अनुसास्ता आचार्य श्री तुलसी के शिष्यों बंबई चातुर्मास किया ।
शेष काल में घाटकोपर गये। वहाँ एक भजनलाल नामके भाई रहते थे। उनका एक लड़का पागल हो गया था। भजनलालभाई तेरापंथी साधुओ के संपर्क में आए तो उन्होंने अपने पुत्रके पागलपन की बात संतो को बताकर उन्होंसे उपाय मांगा।
महाराज के प्रवचन का कार्यक्रम तय करवाया था। नगर में घोषणा हो चुकी थी। मगर रातसे ही जोरों से वर्षा शुरू हो गयी थी।
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" पागलपन पलायन हुआ !'
प्रातः ९ बजे भी बारिस चालु थी तब वे भाई गुरुनीजी के पास मायूस बनकर आया और कहने लगा, महाराज यह क्या रंग में भंग हो गया ? मेरे मन की मुराद मन में ही रह गयी ।' गुरुनीजी ने उस भाई से एक ही शब्द कहा कि, भाई ! तुम चिन्ता मत करो, मैं १० बजे तुम्हारे प्रवचन स्थल पर पहुँच जाऊँगी।
आचार्य श्री तुलसी के शिष्य मुनिश्री जसकरणजी - सुजानगढ़
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भाई के जाने के बाद गुरुनीजी ने नवकार मंत्र का जाप किया। मूसलधार वर्षा बन्द हो गई और कड़कड़ाती धूप निकल आयी। देखा महामंत्र का चमत्कार !!...
संतोंने भजनलाल भाई को कहा, उस लड़के से सवा लाख नवकार जप कराओ। उसका पागलपन मिट सकता है। भजनलालभाई ने जप प्रारम्भ करवा दिया। सवालाख जप करने के बाद उसका पागलपन दूर हो गया। यह है श्रद्धेय नमस्कार महामंत्र के जपका प्रभावशाली चमत्कार। यह घटना २०१९ की है।