Book Title: Jeevvichar
Author(s): J R Shah
Publisher: J R Shah

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Page 11
________________ No. Date ज्ञाननुं इन खपावे छे. संगममुं मात्र खेड ४ वजतनुं डरेस सुपाप्रधान पएा, डोमण ह्रध्यथी डरेल होवाथी, तेने पहा इन स्वइये शासिलदनो लव + खनासक्त लाव + संयम भवन विगेरे उत्तम इजोनी प्राप्ति उरावे छे. जीभ जावु, पर्षोथी धूम, र्धरियावड़ी खने सुपात्रहाननो धर्म, हयनी डोमणता पगर डरवाने सीधे, खापाने भेर्धखे तेंयुं इज हुन् सुधी मण्युं नथी. तेथी, उयामां उंची तरपानी सामग्री खोने या निष्ण दूरी नांजनार खामगां उहोर हृह्यने, भुवयाना प्रलावे डोमण जनाववां माटे ४ खायो खा भुव-विचार ग्रंथ लगी. शवशे ने ??? (3) अवध्यानां परिणामोनी हाकरीमां उहाय खभगतांमां थोडी भुप विराधना धर्ध भय तो पए, हिंसा निमित्ते अस्य दुर्ग जंध थाय छे. जीभ जाबु, भुवध्याना लायोना जलावे, भुवहिंसा न थवा छतांय डर्मबंध तो सतत यासु न रहे छे. आरएए है, दुर्मबंधनं मुख्य अराए। प्रवृत्ति नथी परंतु आंतरिक परिणामो छे. तेथी, मात्र बाह्य प्रवृत्तिता आधारे न जाল हे नुकसान नथी धतुं. परंतु, खापली खांतरिङ परिएातीनां खधारे ४, खात्माने मुख्य साल डे नुङसान थाय छे. घ. तु.: बिलाडीने 23 दुलाडनी भुवहिंसा (उँहर ने भारपानी) न होवा छतां पड़ा, परिणाममां हिंसा होपाने अरो, अयाना स्तरे हिंसा न थपा छतां या, दुर्मबंध २४ डसाइ मारे सतत यालु न रहे छे. सने ते डाणे, डायाना स्तरे भुवहिंसानो त्याग होवां छतां पहा, ते भुवया निमित्ते, जिलाडीने अर्घ ४ लाल थतो नथी. अरए डे, उहरना खलावे, बाह्य दृष्टिखे जिलाडी डोमण - निर्दोष रखने शांत हेजावया छतांय, उंहरने पडडीने जलास उरखानां दूर परिणामो खेनां हयमां योपीसे डलाङ मारे सतत रमतां होय छे. तेथी, भुवहिंसा निमित्ते कर्मबंध तो योपीसे उसाङ जिलाडीने यालु न रहे छे. खेन रीते, सांसारिङ व्याजहारीने सीधे, जा द्रष्टिखे थोडी भुवहिंसा थपा छतांय, भुवध्यानां परिणामोथी योधीसे डसाई हहय लीं राजनारने हिंसा निमित्ते खस्य उर्मबंध धाय रखने भुवया निमित्ते सतत दुर्म निर्भरा यालु જ रहे छे. हेरासरथी घरे ती वखते, डोर्घ श्रापड नीये भेया विना मे थाले जने खेडपए। डीडी भे न भरे, तो पएा, भुवध्यानां परिश्रामो हृदयमां KOKUYO W-NB280U

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