Book Title: Jamikand aur Bahubij
Author(s): Nandighoshvijay
Publisher: Z_Jain_Dharm_Vigyan_ki_Kasoti_par_002549.pdf

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Page 4
________________ देख नहीं सकते, सिर्फ उसी कारण से इसे कल्पना नहीं कही जा सकती । केवलज्ञानी तीर्थंकर परमात्मा ने केवलज्ञान से जो कुछ देखा है उसका ही निरूपण शास्त्रों में किया है । अतः वह कल्पना नहीं है । आप रसायणशास्त्र के प्राध्यापक हैं | क्या आपने इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, क्वार्क इत्यादि सूक्ष्म सब-ऍटमिक पार्टिकल्स देखे हैं ? इन कणों को कितने विज्ञानी ने देखे हैं ? __ डॉ. नंदलाल जैन : नहीं, मैंने ये सूक्ष्म कण नहीं देखे हैं और इन सब को देखने वाले विज्ञानी बहुत ही कम होंगे । । मुनि नंदीघोषविजय : अच्छा, हम किसी ने ये सूक्ष्म कण नहीं देखे हैं| तथापि उसके अस्तित्व का स्वीकार करते हैं । सामान्य मनुष्य ऐसे विज्ञानी ने देखे हुए सूक्ष्म कण का हम स्वीकार करते हैं और केवलज्ञानी तीर्थकर परमात्मा ने देखे हुए एक ही शरीर में रहने वाली अनंत आत्मा को हम कल्पना कहें वह उचित नहीं है । डॉ. नंदलाल जैन : दूसरी बात आलू में यदि अनंत जीव हों तो उसी| आलू के अर्क या मावे में अन्य प्रकार के जीवाणु पैदा किये जाते हैं, जिसे कल्चर (Culture) कहते हैं, वह शुद्ध अर्थात् उसमें सिर्फ उसी प्रकार के ही जीवाणु पाये जाते हैं ऐसा क्यों ? यदि आलू अनंतकाय है तो वे जीव भी उसमें दिखाई देते, किन्तु प्रयोग में ऐसा दिखाई नहीं पड़ता । इसका क्या कारण ? मुनि नंदीघोषविजय : आपकी बात सही है | जब आप कल्चर करने के |लिये आलू आदि के अर्क या मावा आदि लेते हैं तब वह भी सजीव होता है| । उसके प्रत्येक कण में अनंत आत्मा होती है | किन्तु अन्य जीवाणु उनका सिर्फ स्टार्च के रूप में खुराक में उपयोग करते हैं । अतः कल्चर में जो जीवाणु पैदा किये जाते हैं उसमें उसके अलावा अन्य कोई जीव दिखाई नहीं पड़ते हैं । __डॉ. नंदलाल जैन : जहाँ जीवों का समूह है वहाँ उसके अनुकूल परिस्थिति समाप्त की जाय तो वे मर जाते हैं और उनकी मृत्यु के बाद | आलू आदि में सड़न-गलन होने लगेगी और वे बहुत लम्बे अरसों तक अच्छे नहीं रह पायेंगे किन्तु जमीकन्द बहुत लम्बे अरसों तक ताजा रहते हैं, इसका क्या कारण ? यदि उसमें जीव हो तो वे जमीन के नीचे ही सुरक्षित 75 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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