Book Title: Jambuswami Charitram Author(s): Rajmalla Pandit, Jagdishchandra Shastri Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti View full book textPage 4
________________ HLIONYLYOYER IN YHIFSHI प्रस्तावना कवि राजमल्ल दिगम्बर-परम्परामें राजमल्ल अथवा रायमल्ल नामके कई विद्वान् हो गये हैं। प्रस्तुत विद्वान् पंडित राजमल्ल अथवा कवि राजमल्लके नामसे प्रख्यात थे । आप अपने नामके साथ ' स्याद्वादानवद्यगद्यपद्यविद्याविशारद विशेषणका प्रयोग करते हैं । कविराजमल्लकी रचनाओंके ऊपरसे मालूम होता है कि आप जैनागमके बड़े भारी वेत्ता एक अनुभवी विद्वान् थे । आपने जैन वाङ्मयमें पारंगत होनेके लिये कुन्दकुन्द समंतभद्र, नेमिचन्द्र, अमृतचन्द्र आदि विद्वानोंके ग्रन्थोंका विशाल तथा सूक्ष्म दृष्टि से अध्ययन और आलोडन किया था। पं० राजमल्ल केवल आचार-शास्त्रके ही पण्डित न थे, बल्कि आपने अध्यात्म, काव्य और न्यायमें भी कुशलता प्राप्त की थी, यह आपकी विविध रचनाओंसे स्पष्ट मालूम होता है। पं० राजमल्ल स्वयं अपने विषयमें कोई परिचय नहीं देते । इसलिये आप कहाँके रहनेवाले थे, आपके गुरुका क्या नाम था इत्यादि बातोंकी जानकारीसे हमें सर्वथा वंचित ही रहना पड़ता है । लाटीसंहिताकी प्रशस्तिमें एक स्थानपर आप अपनेको हेमचन्द्रकी आनायका विद्वान् कहकर उल्लेख करते हैं। इससे केवल इतना ही ज्ञातPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 288