Book Title: Jainstotrasandohe Part 1
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 640
________________ रविवृतियुतम्] पावत्यष्टकम्। . ग्र २ माकम्पय २ विकम्पय २ क्षयू झा क्षा रक्षा क्षः हुं फुट् ३ निग्रह वाडय र कमलवयूँ मा. माँ हूँ क्रौं क्षः २ हः २ सः २ घः २ सः २ भल्यूँ हुँ २ घर पर २ हुं फुद ३ शङ्खमुद्रया धर एलयू पुर हुं फुद कठोरमुद्रया मारय २ प्राहय २' ल्यू हर स्वस्तिकमुद्रा ताडय २ रयूँ प→ २ पर २ प्रज्वल २ प्रज्वालय २ धम २ धूमान्धकारिणी रा २ प्रा २ क्ली हः वः २ नन्द्यावर्तमुद्रया त्रासय २ भमलव, शङ्खचक्रमुद्रया छिन्द २ भिन्द २ म्यूँ गः त्रिशूलमुद्रया छेदय २ भेदय २ धावू धः मुशलमुद्रया ताडय २ परविद्यां छेदय २ परमन्त्रं भेदय २ धमलवयू धम २ बन्धय २ मोचय २ हलमुद्रया बय २ कः २ पं कुरु २ वर्म्य प्राणीप्रौप्रः समुद्रे मज्ज मज्ज छमलवयू. छाछी , छौ छः मन्त्राणि छेदय छेदया परसैन्यमुच्चाटय उच्चाटय । पररक्षा क्षः क्षः क्षः हुँ ३ फुट । परसैन्यं विध्वंसय विध्वंसय । मारय मारय । दारय दारय । विदारय विदारय, गतिं स्तम्भय स्तम्भय, 'भयं भी श्री श्री , भ्रः श्रवय श्रवय, श्राक्य श्रावय यव्यं यः प्रेषय २ पं छेक्य २ वेषय २ विद्वेषय वि. द्वेषय, ये स्त्री स्रावय सावय मम रक्षा रक्ष रक्ष, परमन्त्रं क्षोभय क्षोभय । छेद छेद, छेदय २, भेद २, भेदय २, सर्वयन्त्रं स्फोटय, २ म २, म्य॑ श्री श्री * श्री भ्रः जामय २, स्तम्भय २, दुःखय २, खाय २, मयं ब्रा ब्री , ब्रौ ब्रः हा, प्रीवां भञ्जय २, मोहय २, स! ला त्री त्रो त्रः त्रासय २, नाशय २, क्षोभय २, सर्वाङ्ग लोभय २, चल चल, चालय २, भ्रम २, भ्रामय २, धूनय २, कम्पय २, आकम्पय २, भर्म्य स्तम्भय २, गमनं स्तम्भय २, सर्वभूतं प्रमर्दय २, सर्वदिशि बन्धय २, सर्वविघ्नं च्छेदय २, निकृन्तय २, सर्व दुष्टान् निग्राहय २, सर्वयन्त्राणि स्फोटय २, सर्वश्रृङ्खलान् त्रोटय २, मोटय २, सर्वदुष्टानाकर्षय २, हमलवयूँ हँा ही हूँ हौ हः शान्ति कुरु

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