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ब) हेत्वर्थक धातुसाधित अव्यय
पिछले साल हमने पूर्वकालवाचक धातुसाधित अव्ययों का अर्थ और वाक्यों में प्रयोग देखें हैं । इसके अतिरिक्त प्राकृत में हेत्वर्थक धातुसाधित अव्यय भी होते हैं।
पूर्वकालवाचक अव्ययों को अंग्रेजी में Gerund कहते हैं । इस साल हम हेत्वर्थक धातुसाधित अव्यय तथा उनके वाक्य में प्रयोग करने की पद्धति देखेंगे । हेत्वर्थक धातुसाधित अव्ययों को अंग्रेजी में infenitive कहते हैं । वाक्य में क्रिया का जो मुख्य हेतु और उद्दिष्ट हैं, उसे इस अव्यय के द्वारा सूचित किया जाता है । अगर वाक्य में दो क्रियाएँ हो और उन दोनों का कर्ता एकही हो, तो उद्दिष्टरूप क्रिया दर्शाने के लिए इस अव्यय का उपयोग किया जाता है।
हेत्वर्थक का अर्थ है - हेतु दर्शानेवाला । धातुसाधित का अर्थ है - क्रिया से निष्पन्न । अव्यय का अर्थ है - जिस शब्द रूप में किसी भी तरह बदल नहीं होता । एक उदाहरण के द्वारा देखेंगे - प्रथम वाक्य - दासी भद्दाए खेमकुसलं पुच्छइ । अर्थ - दासी भद्रा क्षेमकुशल पूछती है । दूसरा वाक्य - दासी आगया । अर्थ – दासी आ गई। दोनों वाक्य एकत्रित करके हम लिख सकते हैं कि - भद्राए खेमकुसलं पुच्छिउं दासी आगया ।
'पुच्छिउं' यह क्रियारूप धातुसाधित अव्यय है । इसका मतलब 'इस प्रयोजन से', 'इसके लिए', इन शब्दोंद्वारा व्यक्त किया जा सकता है।
१) अकारान्त धातुओं को 'इउं' और अन्य धातुओं को हेत्वर्थक बनाने के लिए 'उ' प्रत्यय लगाये जाते हैं।
गच्छ - गच्छिउं - जाने के लिए पास - पासिउं - देखने के लिए गा - गाउं - गाने के लिए हो - होउं - होने के लिए ठा - ठाउं - ठहरने के लिए
२) सब धातुओं के लिए हेत्वर्थक अव्यय बनाते हुए ‘इत्तए' अथवा 'एत्तए' ये दो प्रत्यय भी लगाये जाते हैं । जैसे कि -
गच्छ - गच्छित्तए - जाने के लिए गा - गाइत्तए - गाने के लिए हो - होइत्तए - होने के लिए
३) संस्कृत में जिनको ‘तुमन्त'रूप कहा जाता है उन्हीं से वर्णपरिवर्तन के नियमानुसार प्राकृत में हेत्वर्थक धातुसाधित अव्यय बनाये जाते हैं। जैसे कि -
लह - लद्धं - पाने के लिए सुण - सोउं - श्रवण करने के लिए पास - दुटुं - देखने के लिए कर - काउं - करने के लिए