Book Title: Jainagam Pathmala
Author(s): Akhileshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 16
________________ दसवेआलियं चउत्थं अज्झयणं छज्जीवणिया सूयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु छज्जीवणिया नामज्झयणं समजेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया सुयक्खाया सुपन्नत्ता। सेयं मे अहिज्जि अज्झयणं धम्मपन्नत्ती।। सू० १॥ कयरा खलु सा छज्जीवणिया नामज्झयणं समजेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया सुयक्खाया सुपन्नत्ता ? सेयं मे अहिज्जि अज्झयणं धम्मपन्नत्ती ।। सू० २ ।। इमा खलु सा छज्जीवणिया नामज्झयणं समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया सुयक्खाया सुपन्नत्ता। सेयं मे अहिज्जिउं अज्झयणं धम्मपन्नत्ती-तं जहा-पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया तसकाइया ।। सू० ३ ॥ पुढवी चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं ॥ सू० ४ ॥ आऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं ।। सू० ५ ॥ तेऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं ।। सू०६।। वाऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं ।। सू० ७॥

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