Book Title: Jainagam Nyayasangraha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 127
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दशनविषयः ११६ पाया एवं चेव उच्चारेयव्यंजाव सिय अाया य नो आया य अवत्तबं आयाति य नो आयाति य ?, गोयमा ! अप्पणो अाइट्ठ आया १ परस्स आइडे नो आया २ तदुभयस्स प्राइ8 अवत्तव्वं आयाति य नो आयाति य ३ देसे आइटु सम्भावपञ्जवे देसे आदिट्ठ असब्भाव पज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नो आया य ४ देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसा अाइट्ठा असब्भाव पज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नो आयाओ य ५ देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवे देसे आदिढे असब्भावपज्जवे देसे आदितु असभाव पज्जवे तिपएसिए खंधे आयात्रो य नो आया य ६ देसे आदितु सब्भाव पज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य ७ देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसए खंधे आया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नो आयायो य ८ देसा आदिवा स भावपज्जवा देसे आदिढे तदुभयपज्जवे तिपएमिएखंधे आयाओ य अवतव्यं आयाति य ह एए तिन्नी भंगा, देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठ तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नो आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाति य १० देसे For Private And Personal Use Only

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