Book Title: Jainagam Nyayasangraha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 129
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दर्शनविषयः सिय आया य नो श्राया य श्रवत्तव्यं तं चैव श्रट्ट पडिउच्चारेयव्वं ?, गोयमा ! पण आदि आया १ परस्स आदि नो या २ तदुभयस्स आदि अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य ३ देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदि असम्भाव पज्जवे चउभंगो, सम्भावपज्जवेणं तदुभयेण य चडभंगो असम्भावेणं तदुभयण य चउभंगो, देसे आदि) सन्भावपज्जवे से आदि श्रसन्भावपज्जवे देसे दि तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो आया य अवतव्यं ययाति य नो आयाति य, देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदि सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए खंधे भवड़ या य नो आयाय श्रवतव्वाईं आयाओ य नो याय १७ देसे आदि सन्भावज्जवे देसा दिट्ठा भावपज्जवा देसे दिट्ठ तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए बंधे श्रया य नो आयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नो आयातिय १८ देसाइट्ठा सम्भावपज्जवा देसे आइड असन्भावप० देसे या तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे श्रायाओ य नो श्रया य अवतव्यं श्रायाति य नो आयातिय १६ से तेरा गोयमा ! एवं बुच्चर चउप्पएसिए खंधे सिय श्राया लिय नो For Private And Personal Use Only १२१

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