Book Title: Jainagam Nyayasangraha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 126
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ जैनागमन्याय संग्रहः य ३ देसे यदि सम्भावपज्जवे देसे आदि सम्भावपज्जवे या य नो आया य ४ देसे आदि सम्भा आया य सब्भाव दुप्पसिए खंधे चपज्जवे देसे यदि तदुभयपज्जवे दुपए सिए खंधे अवत्त आयाइ य नो आयाइ य ५ देसे आदि पज्जवे से आदि तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे नो आया य वत्तव्यं याति य से आयाति य ६ से तेराणं त चेव जानो आयाति य ॥ आया भंते ! तिपएसिए खंधे अन्नेतिपएसिए खंधे ?, गोयमा १ तिपएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो या २ सय वतव्यं श्रायाति य नो आयाति य ३ सिय या य नो आया य ४ सिय आया य नो आयाओ य ५ सिय आयाउ य नो आयाय ६ सिय आया य अवत्तव्वं आ याति य नो आयाति य ७ सिय आयाइय अवत्तव्वाई आयाओ य नो आयाओ य ८ सय आयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नो याति य ६ सय नो आया य अवतव्यं आयाति नो यायाति य १० सिय आया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नो आया य ११ सिय नो आयाओ य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइ य १२ सिय आया य नो आया य अवत्तव्यं आयाइ य नो आयाइय १३ सेकेण णं भंते ?, एवं बुच्चइ तिपए सिए खंधे सिय For Private And Personal Use Only

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