Book Title: Jain aur Bauddh Paramparao me Nari ka Sthan
Author(s): Nemichandramuni
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf

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Page 19
________________ जैन और बौद्ध परम्परा में नारी का स्थान | 193 प्राशय यह है कि जैन या बौद्ध भिक्षुणी का जीवन इतना आदर्श, चारित्र-सम्पन्न, ज्ञानमय एवं लक्ष्यमुखी हो / वस्तुतः भिक्षणी-जीवन सर्वोत्कृष्ट जीवन है वह त्याग, तप, वैराग्य और संयम से अनुप्राणित है / आज भी जैनसाध्वी-जीवन प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। उपसंहार इस प्रकार बौद्ध और जैन परम्परा में नारी अपने पाँचों रूपों में गौरवपूर्ण रही है, उसका भूतकाल भी उज्ज्वल रहा है और भविष्य भी उज्ज्वल रहेगा। संसार समुद्र में वर्म ही दीप है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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