Book Title: Jain Vidyalay Granth
Author(s): Bhupraj Jain
Publisher: Jain Vidyalaya Calcutta

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Page 9
________________ शुभाशंसा श्री जैन विद्यालय, हावड़ा अपनी स्थापना का एक दशक पूर्ण कर रहा है। यह दशक हावड़ा के शिक्षा-इतिहास का प्रामाणिक दस्तावेज है जिसका ऐतिहासिक महत्व निर्विवाद है। इसकी स्थापना का श्रेय श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा, कोलकाता का है जिसने कोलकाता, हावड़ा आदि में शिक्षा के लिए नूतन प्रकल्प और आयाम प्रस्तुत किए हैं और लोकोपकार के साथ राष्ट्र की भावी पीढ़ी के व्यक्तित्व के सम्यक् विकास का परम श्रेय प्राप्त किया है। किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवावर्ग पर निर्भर करता है। आज के मूल्यहीन और . नेतृत्वहीन के परिवेश में जब व्यक्ति, समाज और और राष्ट्र तीनों अप संस्कृति से अभिशप्त रहे हैं। आशा है शिक्षा के पुनर्मूल्यांकन की ऐसी भूमिका प्रस्तुत करे जिससे भूमण्डलीकरण, उपभोक्तावाद और तकनीकी सभ्यता के कृत्रिम मोहजाल से मुक्त कर उच्च मानवीय आदर्शों के साथ-साथ हमारी राष्ट्रीय संस्कृति के नवोत्थान में सक्रिय सहभागिता करे। हावड़ा क्षेत्र में यह श्री जैन विद्यालय कर रहा है और मैं उसके विकास, उत्थान और उन्नयन को देखकर मुग्ध हुआ हूँ। एक दशक इसका प्रमाण है। मुझे विश्वास है कि वह भविष्य में भी उत्तरोत्तर विकास प्राप्त कर अपना महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा। इन्हीं शुभेच्छाओं के साथ कल्याणमल लोढ़ा २ए, देशप्रिय पार्क (ईस्ट), कोलकाता-२९ श्री जैन विद्यालय हावड़ा 'शिक्षा : एक यशस्वी दशक' के शुभावसर पर स्मारिका के प्रकाशन का मांगलिक समाचार जानकर उल्लसित हुआ। श्री जैन विद्यालय हावड़ा, भारत के भावी भाग्यविधाताओं के सुगठित जीवन निर्माण में बाल्यकाल से ज्ञान, दर्शन और चारित्र की विधिवत् शिक्षा देकर उनकी नींव सुदृढ़ करते हुए शिक्षा का एक यशस्वी दशक पूरा कर रहा है। बालकों की सहज-स्वाभाविक शिक्षा और सद्वृत्तियों का उन्नयन और समुचित विकास ही शिक्षा का मेरुदण्ड है। सशिक्षा से सुविवेक जगता है और विवेक से ही जीवन जागृति और राष्ट्रोन्नति के कार्यों को करने से ही मानव सौरभमय तथा साफल्य मंडित होता है। इसी मूल के सिंचन में लगे संस्थान से जुड़े सभी लोगों को समवेत भाव से अपनी शुभ कामनायें प्रेषित करता हूँ। माणकचन्द रामपुरिया रामपुरिया भवन, रामपरिया मार्ग, बीकानेर अत्यन्त गर्व और गौरव की बात है कि श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा का यह अमृत महोत्सव वर्ष है एवं श्री जैन विद्यालय, हावड़ा एक दशक की मंगलमय यात्रा भी परिपूर्ण कर आगे प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मंगलक.मना है कि विद्यालय परिवार के प्रति जिन्होंने श्रद्धा और समर्पण के साथ सभा के तीन महत्वपूर्ण संकल्पों साधना, शिक्षा और सेवा को बढ़ाने में पूर्ण योगदान दिया, भावी यात्रा भी मंगलमय हो और शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श सरस्वती मंदिर का रूप जन-जन के लिए प्रेरणादायी हो। साक्षरता अभियान में सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र की अभिवृद्धि करते हुए एक पारिवारिक परिवेश में छात्र एवं छात्राओं के प्रति अपने दायित्व को निभाने के संकल्प को हम सब दोहरायें, यही मेरी शुभकामना है। रिखबदास भंसाली ट्रस्टी- श्री वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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