Book Title: Jain Vidya aur Vigyan Author(s): Mahaveer Raj Gelada Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan View full book textPage 8
________________ - - महाप्रज्ञ का आत्म- तुला का सिद्धान्त आत्म तत्त्व की स्वतंत्रता अध्यात्म और व्यवहार उपनिषद की कथा मैत्री क्यों ? मनः चिकित्सा — - - - - ऋषभायण में विरोधाभाषी अलंकारों का प्रयोग शरीर शास्त्र के उदाहरण विरोधी युगलों का वर्णन भौतिक विज्ञान हित चिंतन भी करें विश्व मैत्री का अभिप्राय, संयम की चेतना पर्यावरण - विज्ञान का नया आयाम समता ही पर्यावरण का विज्ञान महाप्रज्ञ की सैद्धान्तिक स्थापनाएं 1. जैन दर्शन का स्वतंत्र अस्तित्व 2. लोक अलोक की प्ररूपणा - एण्डोरफिन रसायन वैर-विरोध न करें मैत्री का अनुप्रयोग रोचक कथानक (vi) 3. जीव और पुद्गल का संबंध भौतिक या अभौतिक 4. कर्म परिवर्तन का सिद्धांत 5. स्वभाव परिवर्तन में पुनर्भरण क्रियाविधि 6. संज्ञाएं (ओघ, लोक) 7. व्यावहारिक परमाणु 8. तेणं कालेणं, तेणं समएणं 9. विद्युत: सचित या अचित ? 10. अस्वाध्याय 11. कल्प वृक्ष 12. आगमों का रचना काल 31 33 34 38 MN $ + 4 4 NNNNOUN 39 40 41 42 42 43 44 44 45 45 47 48 49 50 50 51 52 54 55 57 60 61 62 74. 75 76Page Navigation
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