Book Title: Jain Vidya aur Vigyan
Author(s): Mahaveer Raj Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ___ (ix) 149 155 160 165 169 179 181 183 185 187 192 खण्ड-3 आगम और विज्ञान - गति विज्ञान - परमाणु की गति - भावितात्मा द्वारा नाना रूपों का निर्माण - भावितात्मा द्वारा आकाश गमन - कृष्ण राजि, तमस्काय तथा ब्लैक होल - नींद का प्रकरण - आलू क्या अनन्त जीवी. हैं? ' - मानसिक सम्प्रेषण का सिद्धान्त - चौदह पूर्वो का परावर्तन - अनाहारक अवस्था - आत्म प्रदेशों की सघनता खण्ड-4 जैन गणित तथा कर्मवाद जैन गणित - - जैन गणित - जघन्य और उत्कृष्ट - सूक्ष्मतम अंश - परमाणु - आठ की संख्या का महत्व - वैज्ञानिक धारणा - सूक्ष्मतम काल - आकाश-परमाणु, आकाश-काल गणित के दस प्रकार 1. परिक्रम 2. व्यवहार 3. रज्जु 4. राशि 197 197 198 198 199 200 201 202 203 208 209 210 210.

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 372